बीजिंग में 3 सितंबर 2025 को हुई चाइना डे परेड, वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस परेड में, शी जिनपिंग ने रूस, उत्तर कोरिया, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका सहित 20 से अधिक देशों के नेताओं की मेजबानी की। इस आयोजन का उद्देश्य क्या था? क्या चीन, अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है?
### चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाएं
चीन अब सिर्फ एक आर्थिक शक्ति नहीं है, बल्कि वैश्विक नेतृत्व का दावा भी कर रहा है। शी जिनपिंग ने परेड के दौरान कहा कि चीन एक ऐसे भविष्य के लिए काम कर रहा है जहां सभी देशों को समान सम्मान और विकास का अधिकार हो। इस बयान को अमेरिका के मुकाबले खुद को खड़ा करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। चीन ने BRICS, SCO और Belt and Road Initiative के माध्यम से एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में अपना प्रभाव बढ़ाया है।
### परेड का संदेश: एकता और शक्ति का प्रदर्शन
चाइना डे परेड में विभिन्न देशों के नेताओं की उपस्थिति ने एकता और शक्ति का संदेश दिया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यह मंच पश्चिमी दबाव के बावजूद एकजुटता को दर्शाता है। उत्तर कोरिया के किम जोंग उन ने चीन के नेतृत्व में एशिया की बढ़ती आवाज पर जोर दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह परेड चीन की बढ़ती वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को दर्शाती है, जिसमें सैन्य और कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन शामिल है।
### अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता
शी जिनपिंग ने पश्चिमी देशों की ‘बुलिंग पॉलिटिक्स’ की आलोचना की और शीत युद्ध की मानसिकता को छोड़ने का आह्वान किया। विश्लेषकों का मानना है कि SCO और चाइना डे परेड ने गैर-पश्चिमी देशों को एकजुट करने की चीन की क्षमता को प्रदर्शित किया, जिससे अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती मिली। चीन 120 से अधिक देशों के साथ व्यापार करता है, जबकि अमेरिका का व्यापार केवल 80 देशों के साथ है, जो चीन के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
### भारत के लिए निहितार्थ
भारत के लिए यह स्थिति जटिल है, क्योंकि वह BRICS और SCO में चीन के साथ साझेदारी करता है, जबकि QUAD में अमेरिका के साथ भी सहयोग करता है। भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखना चाहता है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 तक चीन की अर्थव्यवस्था अमेरिका के बराबर हो सकती है। BRICS का विस्तार और अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में चीनी निवेश चीन के बढ़ते प्रभाव को दर्शाते हैं।
चीन ने आर्थिक और तकनीकी विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं। चीन में सत्ता परिवर्तन की प्रणाली में बदलाव हुआ है, और चीन की कम्युनिस्ट नेतृत्व कभी-कभी अपने पड़ोसियों पर हावी होने की कोशिश करता है।
चीन का सकल घरेलू उत्पाद (PPP) अमेरिका से अधिक है। चीन लगातार सकारात्मक व्यापार और राजकोषीय संतुलन बनाए रखता है, जिससे उसने न्यू डेवलपमेंट बैंक और SCO बैंक जैसी वित्तीय संस्थाओं की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य गैर-डॉलर व्यापार को बढ़ावा देना है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था भारी कर्ज में डूबी है, जबकि चीन गैर-डॉलर व्यापार को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, लेकिन कुछ चुनौतियां अभी भी हैं, जो चीन को एक प्रमुख शक्ति बनने से रोक सकती हैं.