शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का 25वां शिखर सम्मेलन चीन में आयोजित किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य नेता शामिल हुए। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अंतरराष्ट्रीय मेहमानों के स्वागत के लिए तियानजिन में एक भव्य भोज का आयोजन किया। इस वर्ष का शिखर सम्मेलन 10 सदस्यीय समूह का सबसे बड़ा आयोजन था, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस सहित 20 विदेशी नेताओं और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों ने भाग लिया।
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर सबकी निगाहें थीं, खासकर अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ की पृष्ठभूमि में। इस बैठक से संबंधों के लिए एक नया दृष्टिकोण बनने की उम्मीद थी। पीएम मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर पुतिन से भी मुलाकात की।
जिनपिंग ने अपने संबोधन में एससीओ की क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने और दुनिया में विकास को बढ़ावा देने की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन सफल होगा और एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा।
भारत का मानना है कि सीमा पर शांति भारत-चीन संबंधों के लिए आवश्यक है। पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर केंद्रित व्यापक चर्चा हुई। बैठक में जिनपिंग ने कहा कि सीमा मुद्दे को समग्र चीन-भारत संबंधों को प्रभावित नहीं करना चाहिए। भारत ने हमेशा सीमा पर शांति और सद्भाव के महत्व को रेखांकित किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।