चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 25वां शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है। यह सम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अमेरिका की नीतियों के खिलाफ एक रणनीतिक उपाय प्रदान कर सकता है, जिससे ट्रंप की टैरिफ योजनाएं विफल हो सकती हैं। इस बैठक में भारत, चीन और रूस मिलकर अमेरिका की नीतियों का मुकाबला करने के लिए एक साथ आ सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी जापान की दो दिवसीय यात्रा के बाद चीन के लिए रवाना हुए, जहां वे SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह शिखर सम्मेलन चीन के तियानजिन में शुरू होगा, जिसमें भारत, रूस, चीन सहित 20 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मुख्य भूमिका निभाएंगे।
अमेरिका, डॉलर और SWIFT प्रणाली का उपयोग करके दुनिया पर दबाव डालता है। वह अन्य देशों पर टैरिफ और प्रतिबंध लगाता है। हालांकि, अभी तक कोई ऐसा गठबंधन नहीं बना है जो अमेरिका के आर्थिक प्रभाव को चुनौती दे सके। लेकिन SCO एक ऐसा मंच बन सकता है जो अमेरिका के लिए एक चुनौती बन जाए। ऐसा इसलिए है क्योंकि SCO दुनिया में एक महत्वपूर्ण शक्ति केंद्र बनता जा रहा है। SCO के पास बड़ी आबादी, संसाधन और भूगोल हैं, जो इसे अमेरिका से आगे रखते हैं।
SCO सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, चरमपंथ और अलगाववाद का मुकाबला करना है, लेकिन बैठक में ट्रंप की नीतियों पर भी चर्चा होगी। भारत, चीन और रूस मिलकर ट्रंप की नीतियों का विरोध करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। इस बैठक से यह स्पष्ट है कि तीनों देश ट्रंप की योजनाओं को विफल कर सकते हैं।
यह संभव है क्योंकि रूस के पास तेल, गैस और खनिज हैं, चीन के पास विनिर्माण तकनीक और ढांचा है, और भारत के पास एक बड़ा उपभोक्ता बाजार और सेवा क्षेत्र है। ये तीनों देश एक सर्कुलर ट्रेड बना सकते हैं, जिसमें रूस ऊर्जा और धातु प्रदान करेगा, चीन विनिर्माण और तकनीक देगा, और भारत उपभोक्ता बाजार और आईटी सेवाएं प्रदान करेगा। इसका मतलब है कि रूस, चीन और भारत मिलकर अमेरिकी टैरिफ के दबाव को कम कर सकते हैं और एक वैकल्पिक अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं।
भारत, रूस और चीन डिजिटल मुद्रा और भुगतान प्रणाली विकसित कर सकते हैं। चीन ने SWIFT के विकल्प के रूप में CIPS (क्रॉस बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम) बनाया है। रूस ने भी SWIFT के जवाब में SPFS नामक एक वित्तीय लेनदेन प्रणाली विकसित की है। भारत भी जल्द ही UPI ग्लोबल मॉडल लॉन्च करने जा रहा है। इन्हें एक साथ जोड़ा जा सकता है। इससे SCO के सदस्य अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए अमेरिकी मुद्रा पर निर्भर नहीं रहेंगे।