ईरान ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) को अपने क्षतिग्रस्त परमाणु स्थलों का निरीक्षण करने की अनुमति दी है। 12 दिन के संघर्ष के बाद, ईरान ने IAEA को न केवल प्रतिबंधित कर दिया था बल्कि उनकी टीम को देश से बाहर भी निकाल दिया था। तब से, ईरान ने IAEA को ईरान में प्रवेश करने से रोक दिया था, लेकिन अब उसने निगरानी की अनुमति दे दी है। इसलिए सवाल उठता है कि ईरान ने ऐसा क्यों किया? क्या उसने अपनी परमाणु गतिविधियों से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी और यूरेनियम को कहीं और स्थानांतरित कर दिया है? सबसे बड़ा सवाल यह है कि IAEA की निगरानी का क्या परिणाम होगा?
अगर इज़राइल ने फिर से हमला किया, तो ईरान जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। ईरान की नौसेना ने ओमान की खाड़ी और हिंद महासागर में सैन्य अभ्यास किया है। ईरान इज़राइल पर समुद्र से हमला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। पिछले संघर्ष से सबक लेते हुए ईरान ने अपनी कमजोरियों को दूर कर लिया है। ईरान ने अपने महत्वपूर्ण ठिकानों की सुरक्षा बढ़ा दी है।
ऐसी अटकलें हैं कि अगर इज़राइल ने ईरान पर फिर से हमला किया, तो इस बार युद्ध एक ऐसे दरवाजे को खोल देगा जिसमें पूरा अरब क्षेत्र जल जाएगा। इज़राइल और ईरान के बीच दूसरे युद्ध की आशंका तब बढ़ी जब ईरानी खुफिया एजेंसी को पता चला कि इज़राइल ईरान पर हमले की योजना बना रहा है।
इस जानकारी के बाद, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा कि ईरान इज़राइल के साथ एक और युद्ध के लिए तैयार है। इस बार, ईरान का पलटवार और भी अधिक ज़बरदस्त होगा। अरागची ने अरब देशों से इज़राइल के साथ अपने संबंधों को तोड़ने और ईरान का समर्थन करने का आह्वान किया, ताकि इज़राइल को सबक सिखाया जा सके।
ईरान-इज़राइल के बीच युद्ध का खतरा तब बढ़ा जब ईरान का परमाणु कार्यक्रम शुरू हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, ईरान रूस और चीन की मदद से अपने परमाणु कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रहा है।
अपने परमाणु कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए, ईरान ने कूटनीति भी तेज कर दी है। ईरान की यह कूटनीति इज़राइल को रास नहीं आ रही है। खामनेई की परमाणु गतिविधियों से नेतन्याहू और ट्रम्प परेशान हैं। ऐसी स्थिति में, यह माना जाता है कि ट्रम्प किसी भी समय इज़राइल को हमले की मंजूरी दे सकते हैं। यही वजह है कि इज़राइल और ईरान के बीच दूसरे युद्ध की संभावना बढ़ गई है।