ऑस्ट्रेलिया ने ईरान की शक्तिशाली इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को एक आतंकी संगठन के रूप में नामित किया है, जिससे ईरान के साथ राजनयिक संबंधों में खटास आ गई है। ऑस्ट्रेलिया ने ईरानी राजदूत को भी निष्कासित कर दिया है।
यह कार्रवाई ऑस्ट्रेलिया की खुफिया एजेंसी ASIO द्वारा ईरान पर यहूदी विरोधी हमलों का आरोप लगाने के बाद हुई है। ASIO का दावा है कि सिडनी और मेलबर्न में हुए हमलों में IRGC शामिल था।
IRGC, जिसका मतलब है इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स, ईरान की सबसे महत्वपूर्ण सैन्य और खुफिया इकाई है। इसकी स्थापना 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद हुई थी, जिसका उद्देश्य क्रांति और व्यवस्था की रक्षा करना, दुश्मनों से निपटना और सेना पर धार्मिक नियंत्रण बनाए रखना था।
IRGC के पास 1.25 लाख से अधिक सैनिक हैं, और यह सेना, नौसेना, वायुसेना, मिसाइल प्रणाली, ड्रोन, स्पीडबोट और साइबर इकाइयों सहित कई क्षमताओं का संचालन करता है। दशकों से, IRGC ने सैन्य, राजनीतिक, शैक्षिक और आर्थिक क्षेत्रों में अपना प्रभाव जमाया है।
माना जाता है कि IRGC ईरान के सर्वोच्च नेता, आयतुल्लाह अली खामेनेई के प्रति वफादार है। यह कभी मध्य पूर्व में सबसे बड़ा मिसाइल कार्यक्रम चलाने वाला संगठन था, हालांकि इज़राइल के हमलों ने हाल ही में ईरानी परमाणु स्थलों और मिसाइल प्रणालियों को नुकसान पहुंचाया है।
ऑस्ट्रेलिया से पहले, अमेरिका (2019), कनाडा (2024), सऊदी अरब और बहरीन (2018) और पैराग्वे (2025) सहित कई अन्य देशों ने IRGC को आतंकी संगठन के रूप में नामित किया है। यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने अभी तक आधिकारिक तौर पर ऐसा नहीं किया है, लेकिन भविष्य में कार्रवाई करने की संभावना पर विचार कर रहे हैं।
IRGC को अक्सर ईरान के राष्ट्रपति से अधिक शक्तिशाली माना जाता है और विदेश नीति पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव है। यह शैक्षणिक संस्थानों का संचालन करता है और अंतरिक्ष अनुसंधान और ड्रोन प्रौद्योगिकी में निवेश करता है। इसके अलावा, IRGC पर पश्चिमी प्रतिबंधों से बचते हुए ईरान के तेल निर्यात को जारी रखने के लिए गुप्त टैंकर नेटवर्क संचालित करने का भी आरोप है।