रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार में हुई हिंसा और उनके पलायन को 8 साल पूरे हो गए हैं। 2017-18 में म्यांमार की सेना ने रोहिंग्याओं का उत्पीड़न किया, जिसके बाद लाखों लोगों ने बांग्लादेश और भारत में शरण ली। संयुक्त राष्ट्र ने रोहिंग्या को सबसे प्रताड़ित समुदाय घोषित किया है। बांग्लादेश में 13 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। रोहिंग्या शरणार्थियों ने अपनी आठवीं वर्षगांठ मनाई और रखाइन राज्य में सुरक्षित वापसी की मांग की। नवंबर 2023 से अब तक, 1.5 मिलियन रोहिंग्या बांग्लादेश में प्रवेश कर चुके हैं, जिससे शरणार्थियों की संख्या 13.24 लाख हो गई है। हर साल शिविरों में 30 हजार बच्चे पैदा होते हैं। कॉक्स बाजार में एक तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें मानवाधिकार कार्यकर्ता, संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि, और राजनयिक शामिल हुए। सम्मेलन में शरणार्थियों को भोजन और अन्य सुविधाएं दी गईं और उनकी वापसी पर चर्चा हुई। बांग्लादेश और संयुक्त राष्ट्र रोहिंग्या की सुरक्षित वापसी के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन म्यांमार के रखाइन प्रांत में स्थिति अभी भी अस्थिर है, जिससे वापसी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।
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