इजराइल ने हाल ही में हूती लड़ाकों के खिलाफ एक सैन्य अभियान चलाया, जिसमें हूती सैन्य प्रमुख और यमन के राष्ट्रपति को निशाना बनाया गया था। लेकिन यह अभियान असफल रहा, जिसमें एक भी हूती कमांडर नहीं मारा गया, जबकि नागरिकों की मौत हो गई।
यह सवाल उठता है कि इजराइल, जिसने ईरान जैसे देशों में सफलता हासिल की है, हूती लड़ाकों को मारने में क्यों विफल रहा। इसके कई कारण हैं:
* **भाषा संबंधी चुनौतियां:** हूती लड़ाके आमतौर पर अरबी भाषा का उपयोग करते हैं, जिसे इजराइली खुफिया एजेंसियां समझने में संघर्ष कर रही हैं। खुफिया जानकारी को डिकोड करने में कठिनाई के कारण, इजराइल हूती कमांडरों की गतिविधियों पर नजर रखने में विफल रहा।
* **अपर्याप्त तैयारी:** इजराइल ने ईरान और अन्य स्थानों पर सफल अभियान चलाने के लिए विस्तृत तैयारी की थी। हालांकि, यमन में अभी भी तैयारी चल रही है। खुफिया एजेंसियां हूती के महत्वपूर्ण ठिकानों की पहचान कर रही हैं, जिन पर हमला करने की योजना है।
* **कमांडरों की अस्पष्ट संरचना:** ईरान और हमास के विपरीत, जहां कमांडरों की पहचान स्पष्ट थी, हूती के कमांडरों के बारे में कोई औपचारिक जानकारी नहीं है। हूती के सभी सदस्य पर्दे के पीछे से काम करते हैं, जिससे उन्हें निशाना बनाना मुश्किल हो जाता है।
इजराइल ने हूती के तीन ठिकानों पर भी हमले किए, जिनमें राष्ट्रपति भवन, सना का बिजलीघर और ईंधन भंडारण सुविधाएं शामिल थीं, जिसमें कई लोगों की जान चली गई।