पाकिस्तान इस्लामाबाद में 25 और 26 अगस्त को तालिबान-विरोधी नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित करने की तैयारी कर रहा है। इस बैठक में अफगानिस्तान से निकाले गए राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, महिला अधिकार कार्यकर्ता और विरोध प्रदर्शनों के प्रतिनिधि सहित लगभग 30 लोग शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, कई वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों के भी इसमें शामिल होने की उम्मीद है। बैठक का मुख्य एजेंडा मानवाधिकारों, महिलाओं और लड़कियों की स्थिति और अफगानिस्तान के भविष्य पर चर्चा करना है।
सूत्रों के अनुसार, यह बैठक अनौपचारिक रूप से ‘पाक-अफगान वार्ता- एकता और विश्वास की ओर’ नाम से आयोजित की जा रही है, जिसका नेतृत्व इस्लामाबाद की साउथ एशियन स्ट्रैटेजिक स्टेबिलिटी इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान का यह कदम तालिबान की सत्ता को चुनौती देने और उसके खिलाफ एक नकारात्मक छवि बनाने का प्रयास है।
इस आयोजन को लेकर पूर्व अमेरिकी दूत जल्माय खलीलजाद ने पाकिस्तान के समर्थन की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान उन तालिबान विरोधी राजनेताओं की बैठक की मेजबानी करेगा जो तालिबान को हिंसा के माध्यम से हटाना चाहते हैं। खलीलजाद ने पाकिस्तान द्वारा इस तरह की बैठक की मेजबानी को ‘नासमझी’ और ‘उकसावे वाला’ कदम बताया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम अफगानिस्तान-पाकिस्तान के पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और खराब कर सकता है।
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान से निकलने वाले आतंकवाद को क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बताया है। पाकिस्तान के दूत असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट – खुरासान (ISIL-K) के लगभग 2,000 लड़ाकों की मौजूदगी से स्थिति अब भी खतरनाक बनी हुई है। उन्होंने बताया कि तालिबान प्रशासन ने ISIL-K के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, लेकिन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और बलूच आतंकी समूहों की मौजूदगी पर ध्यान नहीं दिया गया है।
अहमद ने कहा कि पाकिस्तान के लिए खतरा गंभीर और तत्काल है, क्योंकि TTP, जिसके लगभग 6,000 लड़ाके हैं, अफगानिस्तान में सक्रिय सबसे बड़ा आतंकी समूह है। हालाँकि, तालिबान अफगानिस्तान में TTP और ISIL-K की उपस्थिति से इनकार करता है।
इस बीच, अफगानिस्तान के नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ने बताया कि उन्हें भी बैठक के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने इसमें भाग लेने से इनकार कर दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अभी तक इस बैठक पर कोई टिप्पणी नहीं की है। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अपना पाकिस्तान दौरा रद्द कर दिया है।
20 अगस्त को काबुल में अफगानिस्तान, चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की एक बैठक हुई, जिसका उद्देश्य तीनों देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देना था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार चीन के विदेश मंत्री के साथ त्रिस्तरीय वार्ता के लिए काबुल गए थे। इस बैठक में आतंकवाद, सुरक्षा और व्यापार पर चर्चा की जानी थी। हालाँकि, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच कोई व्यापार समझौता नहीं हुआ, लेकिन चीन ने काबुल तक चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के निर्माण पर सहमति प्राप्त कर ली।