भारत और चीन के बीच जल्द ही सीधी उड़ानें शुरू होने वाली हैं। दोनों देशों ने चीनी मुख्य भूमि और भारत के बीच उड़ानें शुरू करने पर सहमति जताई है। यह फैसला चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के दौरान हुई बातचीत में लिया गया। इसके अलावा, दोनों देशों ने नए एयर सर्विस एग्रीमेंट को अंतिम रूप देने पर भी सहमति जताई है।
समझौते के अनुसार, दोनों पक्ष जल्द से जल्द चीन और भारत के बीच सीधी उड़ानें शुरू करने और एयर सर्विस एग्रीमेंट को अपडेट करने पर सहमत हुए हैं। दोनों देशों ने पर्यटकों, व्यापारियों, मीडिया और अन्य आगंतुकों के लिए दोनों तरफ से वीजा की सुविधा पर भी सहमति जताई है।
बता दें कि डोकलाम संकट और कोविड महामारी के बाद उड़ानें बंद कर दी गई थीं। अब 2026 से कैलाश पर्वत/गंग रिनपोछे और मानसरोवर झील/मपम यून त्सो की भारतीय तीर्थयात्रा का विस्तार करने पर भी सहमति बनी है।
सिक्किम के राज्यसभा सांसद डीटी लेपचा ने संसद में नाथुला मार्ग से यात्रा को फिर से शुरू करने का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद भारत सरकार और सिक्किम सरकार के बीच समन्वित प्रयास हुए।
नाथुला के रास्ते यात्रा फिर से शुरू होने से तीर्थयात्रियों को आध्यात्मिक मार्ग मिलेगा, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और मार्ग के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
19 अगस्त को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, CPC केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो के सदस्य और CPC केंद्रीय समिति के विदेश मामलों के कार्यालय के निदेशक वांग यी से दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय में मुलाकात की।
पीएम मोदी ने वांग यी से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली क्विंग को अपनी शुभकामनाएं देने को कहा। उन्होंने चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) तियानजिन शिखर सम्मेलन में भाग लेने और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने की इच्छा भी जताई। भारत एससीओ के अध्यक्ष के तौर पर चीन के काम का समर्थन करेगा और शिखर सम्मेलन की सफलता सुनिश्चित करेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन दोनों प्राचीन सभ्यताएं हैं, जिनका लंबा मैत्रीपूर्ण इतिहास रहा है। पिछले साल अक्टूबर में कज़ान में दोनों देशों के नेताओं की बैठक द्विपक्षीय संबंधों के विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि साझेदार हैं और दोनों के सामने विकास में तेजी लाने का साझा लक्ष्य है। दोनों को आदान-प्रदान बढ़ाना चाहिए, समझ बढ़ानी चाहिए और सहयोग का विस्तार करना चाहिए, ताकि दुनिया को भारत-चीन सहयोग की अपार संभावनाएं और उज्ज्वल भविष्य दिखाई दे सके। दोनों पक्षों को सीमा से जुड़े मुद्दों को सावधानी से संभालना चाहिए और विवादों से बचना चाहिए।