ईरान और इराक के बीच हुए एक सुरक्षा समझौते से अमेरिका चिंतित है। यह समझौता दोनों देशों के बीच 1400 किलोमीटर लंबी सीमा पर सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए किया गया है।
यह डील 11 अगस्त को हुई थी और इसमें इराक के प्रधानमंत्री, ईरान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी और इराक के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शामिल थे। यह समझौता मार्च 2023 में हुए एक समझौते पर आधारित है, जिसमें सीमा नियंत्रण को मजबूत करने की बात कही गई थी।
अमेरिका को इस समझौते से कई चिंताएं हैं। उसे डर है कि इससे इराक में ईरान का प्रभाव बढ़ेगा और ईरान समर्थित मिलिशिया का दखल बढ़ेगा, जो अमेरिका के हितों के खिलाफ है। अमेरिका चाहता है कि इराक में उसकी पकड़ बनी रहे।
अमेरिका को यह भी डर है कि ईरान समर्थित मिलिशिया के पास मौजूद हथियार, जैसे कि मिसाइल और ड्रोन, इजराइल और अमेरिकी ठिकानों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। अमेरिका चाहता है कि पीएमएफ (Popular Mobilisation Forces) को या तो खत्म कर दिया जाए या सरकारी नियंत्रण में लाया जाए। अमेरिका को आशंका है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो इजराइल हवाई हमले कर सकता है, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ेगी।