यूरोप, ट्रंप और पुतिन के अलास्का में प्रस्तावित मुलाकात को लेकर चिंतित है। उनका मानना है कि इस बैठक का कोई परिणाम नहीं निकलेगा। इस चिंता का कारण यह है कि ट्रंप और यूरोप के हित आपस में टकरा रहे हैं। यह बैठक यूक्रेन और यूरोप दोनों के लिए अस्तित्व पर संकट बन सकती है। इसलिए, यूरोप ने गहन मंथन करने की तैयारी की है। यूरोप का कहना है कि रूस के साथ डील करने का अधिकार यूक्रेन का है और यूक्रेन की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। यदि ट्रंप पुतिन की शर्तों के आगे झुकते हैं, तो यूरोपीय संघ (EU) युद्ध में यूक्रेन की सहायता करेगा। रूस ने तीन साल के युद्ध में यूक्रेन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। 22 जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार, 1,15,440 वर्ग किलोमीटर यूक्रेनी भूमि रूस के नियंत्रण में है। यूरोप चिंतित है कि ट्रंप यूक्रेन पर अपनी जमीन सरेंडर करने का दबाव डाल सकते हैं। यूरोपीय देशों का मानना है कि रूस के साथ डील करने का अधिकार यूक्रेन का है, जेलेंस्की को वार्ता में शामिल होना चाहिए और यूक्रेन की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। ट्रंप का मानना है कि जेलेंस्की को बैठक में ले जाने का कोई मतलब नहीं है। ट्रंप ने कहा है कि पुतिन के साथ डील बन भी सकती है और बिगड़ भी सकती है। यूरोप और यूक्रेन दोनों ट्रंप के युद्धविराम की जल्दबाजी को समझते हैं। वे जानते हैं कि ट्रंप यूक्रेन की संप्रभुता को खतरे में डालकर युद्धविराम कराने का दबाव डालेंगे। ब्रिटेन ने ट्रंप को पुतिन पर भरोसा करने के खिलाफ चेतावनी जारी की है। यूरोप ने ट्रंप को मनाने और पूरे यूरोप को एकजुट करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने एक वर्चुअल शिखर बैठक बुलाई है जिसमें ट्रंप, जेलेंस्की, यूरोपीय संघ और नाटो के नेता शामिल होंगे। यूरोपीय देश नहीं चाहते हैं कि यूक्रेन की थोड़ी सी भी भूमि रूस के नियंत्रण में जाए। यदि ट्रंप पुतिन की शर्तों को स्वीकार करते हैं, तो इससे रूस का मनोबल बढ़ेगा और भविष्य में नाटो देशों पर हमले हो सकते हैं।
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