ट्रंप द्वारा टैरिफ को एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के कारण अमेरिका की विदेश नीति पर सवाल उठ रहे हैं। भारत, ब्राजील और अन्य देशों पर लगाए गए भारी शुल्कों के कारण, इन देशों का सामान अमेरिकी बाजार में महंगा हो गया है। ट्रंप का तर्क है कि भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहा है।
ट्रंप की मंशा रूस को यूक्रेन से समझौते के लिए मजबूर करना, भारत पर कृषि और डेयरी सेक्टर खोलने का दबाव डालना, चीन की विनिर्माण क्षमता को कमजोर करना और ब्राजील को उसकी मुखरता की सजा देना है। हालांकि, इन नीतियों के परिणामस्वरूप, ये देश एकजुट हो रहे हैं, जो अमेरिकी हितों के खिलाफ है।
1. **मोदी और लूला के बीच बातचीत:** प्रधानमंत्री मोदी और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने व्यापार पर चर्चा की, जिसमें टैरिफ के मुद्दे पर भी बात हुई। ब्राजील भी भारत की तरह ही टैरिफ का सामना कर रहा है।
2. **चीन का विरोध:** चीन ने टैरिफ को लेकर अमेरिका की आलोचना की और इसे डब्ल्यूटीओ नियमों का उल्लंघन बताया।
3. **ब्रिक्स का पुनरुत्थान:** ट्रंप की टैरिफ नीतियां ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) को एकजुट कर सकती हैं, साथ ही ईरान, इथियोपिया, इंडोनेशिया, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
4. **डोभाल और पुतिन की मुलाकात:** राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मॉस्को में पुतिन से मुलाकात की, जो ब्रिक्स और अन्य साझेदारियों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
5. **यूरोपीय देशों का विरोध:** स्विट्जरलैंड में अमेरिका से लड़ाकू विमानों की खरीद रद्द करने की मांग की गई है, क्योंकि अमेरिका ने स्विट्जरलैंड पर टैरिफ लगाया है।
6. **वैकल्पिक उपाय:** कई देश अमेरिकी दबाव से बचने के लिए स्थानीय मुद्राओं में व्यापार, संयुक्त परियोजनाओं और वैकल्पिक वित्तीय संस्थानों का समर्थन कर रहे हैं।