6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर में सुबह सामान्य थी. लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त थे, अनजान कि कुछ ही पलों में सब कुछ बदल जाएगा. अमेरिका ने ‘लिटिल बॉय’ नामक एटम बम गिराया और शहर तबाह हो गया. भीषण गर्मी और विकिरण से लोग जल गए, पेड़-पौधे झुलस गए, और शहर का बड़ा हिस्सा राख हो गया.
यह विनाश यहीं नहीं थमा; विकिरण के कारण वर्षों तक लोग मरते रहे. यह मानव इतिहास का पहला परमाणु हमला था, और आज 80 साल बाद, खतरा पहले से कहीं ज्यादा वास्तविक है. दुनिया एक बार फिर उसी चौराहे पर खड़ी है, जहां परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ रही है और उनके इस्तेमाल की धमकियां आम हो गई हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आज परमाणु हमला हुआ, तो हिरोशिमा का विनाश मामूली लग सकता है, क्योंकि आज के बम ज्यादा शक्तिशाली हैं.
ICAN के अनुसार, एक परमाणु बम लाखों लोगों की जान ले सकता है. कई बमों के गिरने से न केवल लाखों मौतें होंगी, बल्कि पृथ्वी का जलवायु तंत्र भी नष्ट हो जाएगा, जिससे बारिश में कमी आएगी और तापमान -7 से -8 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाएगा, जो 18,000 साल पहले आइस एज के समान होगा. कम तापमान के कारण, 10% से अधिक क्षेत्रों में सूर्य का प्रकाश भी नहीं पहुंच पाएगा.
परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर छोटे से हमले से भी रिएक्टर और आसपास की इमारतें नष्ट हो सकती हैं. हिरोशिमा पर गिराया गया बम 15 किलोटन का था, जबकि आज के बम 1,000 किलोटन तक के हो सकते हैं. हमले से रिएक्टर में मौजूद ईंधन रॉड बिखर सकते हैं, जिससे विकिरण का खतरा बढ़ेगा. ICAR की रिपोर्ट बताती है कि हमले के दौरान सीज़ियम-137 वातावरण में पूरी तरह से फैल सकता है, जिससे हजारों वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र रहने योग्य नहीं रहेगा.
यदि अमेरिका और रूस के बीच परमाणु युद्ध होता है, तो 500 बमों के उपयोग से आधे घंटे के भीतर 10 करोड़ से अधिक लोग मारे जा सकते हैं. यहां तक कि 1% से कम परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से भी 2 अरब लोग भुखमरी का शिकार हो सकते हैं, और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी.
2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान, परमाणु युद्ध का खतरा मंडरा रहा था. Bulletin of the Atomic Scientists की रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत और पाकिस्तान के बीच क्षेत्रीय परमाणु युद्ध होता है, जिसमें 100 परमाणु हथियार (प्रत्येक 15 किलोटन) का उपयोग किया जाता है, तो 2.7 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है.