1945 में हिरोशिमा पर हुए हमले को 80 साल हो चुके हैं और आज भी इसके घाव हरे हैं। अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था, जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोगों की जान गई। ‘लिटिल बॉय’ नाम का यह बम B-29 बॉम्बर से गिराया गया था। लेकिन, परमाणु हमला इतना आसान नहीं होता है, जितना दिखता है।
परमाणु बम दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार है। इसे दागने से पहले एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। अमेरिका ने भी हिरोशिमा और नागासाकी पर हमले के पीछे युद्ध को जल्द खत्म करने और सैनिकों की जान बचाने का तर्क दिया था, लेकिन दुनिया ने इसे क्रूरता माना। शुक्र है कि उसके बाद परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ। परमाणु हमला करने के लिए एक देश को कई चरणों से गुजरना होता है।
परमाणु हमले का चरणबद्ध तरीका:
1. निर्णय
हर देश की अपनी परमाणु नीति होती है। भारत की ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति है, जिसका मतलब है कि भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, जब तक उस पर हमला न हो। जबकि अमेरिका जरूरत पड़ने पर पहले परमाणु हमले का अधिकार रखता है। अगर अमेरिका को लगता है कि उस पर परमाणु हमला होने वाला है, तो वह हमला कर सकता है।
2. सलाहकारों की मंजूरी
परमाणु हमले का फैसला देश का सर्वोच्च नेता लेता है, जो प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति हो सकता है। अमेरिका में यह अधिकार राष्ट्रपति के पास है, जबकि भारत में प्रधानमंत्री के पास। इस फैसले से पहले न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी (NCA) की बैठक होती है, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। बैठक में खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट पर विचार किया जाता है और सैन्य सलाहकार सलाह देते हैं।
3. फायर ऑर्डर जारी करना
अंतिम निर्णय लेने के बाद, परमाणु हथियारों की तैनाती वाले स्थान पर एक सुरक्षित संचार स्थापित किया जाता है। प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति एक एन्क्रिप्टेड कोड के जरिए फायर ऑर्डर भेजते हैं, जो मिसाइल बेस, एयरफोर्स यूनिट और पनडुब्बियों तक पहुंचता है। संबंधित यूनिट को यह सत्यापित करना होता है कि आदेश सही व्यक्ति ने भेजा है या नहीं।
4. हथियारों को सक्रिय करना
फायर ऑर्डर की पुष्टि होने पर हथियार सक्रिय हो जाते हैं। जमीन से हमले के लिए बैलिस्टिक मिसाइलें तैयार हो जाती हैं, हवा से हमले के लिए बॉम्बर विमान रनवे पर आ जाते हैं और समुद्र से हमले के लिए पनडुब्बियां फायर मोड में आ जाती हैं। इसके बाद लक्ष्य निर्धारित किया जाता है और मिसाइलें दागी जाती हैं।
विनाशकारी प्रभाव
परमाणु बम से होने वाले नुकसान का कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है, लेकिन हिरोशिमा और नागासाकी में तबाही को देखते हुए, यह हमला 2 से 5 किलोमीटर के दायरे में सब कुछ नष्ट कर सकता है। हमले के केंद्र का तापमान कुछ सेकंड के लिए 5 से 6 हजार डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है, जो लोहे को भी पिघला सकता है। हवा में रेडियोएक्टिव कण फैल जाते हैं और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम ठप हो जाते हैं।