हिरोशिमा पर परमाणु हमले की भयावहता आज भी लोगों को डराती है। 1945 में अमेरिका द्वारा गिराए गए परमाणु बम के कारण हिरोशिमा में लगभग 1,40,000 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद, दुनिया भर के देशों ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए।
इन कदमों में से एक था नागरिकों की सुरक्षा के लिए बंकरों का निर्माण। स्विट्जरलैंड इस मामले में अग्रणी है। शीत युद्ध के बाद से, स्विट्जरलैंड भूमिगत बंकरों और उपकरणों के निर्माण के लिए जाना जाता है। नीदरलैंड के पास भी बड़ी संख्या में बंकर हैं, जो परमाणु हमलों का सामना कर सकते हैं और यहां हर नागरिक के लिए एक स्थान सुरक्षित है।
स्विट्जरलैंड के कानून के अनुसार, प्रत्येक नागरिक को बंकर में जगह का अधिकार है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां 1962 में यह कानून बनाया गया था। हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमलों के बाद, सरकार ने नागरिक सुरक्षा आश्रयों के निर्माण को अनिवार्य कर दिया।
यूक्रेन में रूस के आक्रमण के बाद, स्विट्जरलैंड की बंकर नीति पर दुनिया का ध्यान गया है। कुछ देशों के तानाशाहों ने भी स्विस कंपनियों से हवाई हमलों से बचाव के लिए ठिकानों के निर्माण का अनुरोध किया है।
2010 में लीबिया में हुए जनांदोलन के दौरान, कर्नल गद्दाफी के एक विला में स्विस कंपनी द्वारा स्थापित वेंटिलेशन सिस्टम वाला एक बंकर पाया गया। स्विस कंपनियाँ अब दुनिया भर में बंकर से संबंधित सामग्री का निर्यात कर रही हैं।
स्विट्जरलैंड ने 1962 से परमाणु बंकरों के निर्माण पर लगभग 12 अरब स्विस फ़्रैंक खर्च किए हैं। अधिकांश बंकर निजी संपत्तियों में स्थित हैं और स्थानीय अधिकारियों द्वारा बनाए और रखरखाव किए जाते हैं।
भारत में भी, हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद बंकरों की आवश्यकता पर बल दिया गया है। विशेषज्ञों ने मजबूत हवाई रक्षा और बंकरों के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया है।