रिलायंस जियो के प्रस्तावित आईपीओ से पहले, भारत के दूरसंचार क्षेत्र में टैरिफ वृद्धि की संभावना प्रबल है। यह आईपीओ 2026 की पहली छमाही में लॉन्च होने की उम्मीद है। जियो और एयरटेल दोनों ही इस आईपीओ से पहले अपने लाभ और निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए टैरिफ बढ़ाने पर विचार कर रही हैं।
कंपनियों ने पहले कम कीमत वाले प्लान पर ध्यान दिया, लेकिन अब वे सबसे सस्ते प्लान को हटा रही हैं, जिससे औसत राजस्व प्रति उपयोगकर्ता (ARPU) प्रभावित हुआ है। एयरटेल का ARPU 250 रुपये के करीब है, जबकि जियो का ARPU 208.8 रुपये है। टैरिफ वृद्धि से जियो का रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) बेहतर होगा, जो आईपीओ के लिए निवेशकों को आकर्षित करेगा।
जियो के 500 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं, जबकि एयरटेल के 362.8 मिलियन उपयोगकर्ता हैं। वोडाफोन आइडिया (Vi) के 197.7 मिलियन उपयोगकर्ता हैं। जियो के टैरिफ बढ़ाने पर एयरटेल भी कीमतें बढ़ा सकती है, जिससे दोनों कंपनियों की आय में वृद्धि होगी, लेकिन Vi पर दबाव बढ़ सकता है।
विश्लेषकों ने जियो का मूल्यांकन लगभग $133 बिलियन (लगभग 11 लाख करोड़ रुपये) किया है। आईपीओ से जियो लगभग $3 बिलियन जुटा सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरधारकों को ज्यादा लाभ नहीं होगा।
आने वाले महीनों में मोबाइल डेटा और कॉलिंग प्लान महंगे हो सकते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को अधिक महंगा रिचार्ज कराना पड़ सकता है। जियो और एयरटेल मजबूत होंगी, जबकि Vi की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जियो का आईपीओ शेयर बाजार के साथ-साथ उपयोगकर्ताओं की जेब पर भी प्रभाव डालेगा। अंबानी और मित्तल दोनों अपनी योजनाओं के साथ तैयार हैं, लेकिन इसका सीधा असर उपयोगकर्ताओं पर पड़ेगा।