
आजकल लोग मौसम का हाल जानने के लिए वेदर ऐप्स पर निर्भर रहते हैं, लेकिन केरल का एक गांव ऐसा है जो इस मामले में अनूठा है। यहां के लोग मौसम की जानकारी के लिए अपने गांव में लगे ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन का इस्तेमाल करते हैं। अनिल टी आर जैसे ग्रामीण, जो रोज काम पर जाने से पहले मौसम का हाल जानना चाहते हैं, उन्हें यह जानकारी किसी ऐप या दूरदराज के वेदर स्टेशन से नहीं मिलती, बल्कि उनके गांव में लगे ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन से मिलती है।
यह भारत का पहला ग्राम पंचायत गांव है जिसने ‘लिविंग लैब अप्रोच’ को अपनाया है। यह एक ऐसा सिस्टम है जो रिसर्च और इनोवेशन के जरिए लोगों की जिंदगी की मुश्किलों का हल निकालता है। नीदरलैंड में शुरू हुई यह अप्रोच, असल दुनिया में समाधान खोजने का काम करती है।
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
2022 में भूस्खलन में तीन लोगों की जान जाने और 36 हेक्टेयर जमीन बर्बाद होने के बाद, इस सिस्टम से गांव वालों को बड़ी राहत मिली है। गांव के 55 वर्षीय अनिल बताते हैं कि उन्हें हर दिन इस ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन से बारिश और हवा की जानकारी मिलती है, और भारी बारिश की स्थिति में अलर्ट भी मिलते हैं।
फिलहाल, गांव में एक ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन लगा है जो स्थानीय मौसम का डेटा देता है। यह सिस्टम लोगों को सही जानकारी दे रहा है, जिसके चलते पंचायत 13 वार्डों में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे स्टेशन लगाने की योजना बना रही है। खास बात यह है कि पंचायत में आईआईटी-रुड़की ने भूस्खलन की चेतावनी के लिए भी एक सिस्टम लगाया है। 2022 में भूस्खलन के बाद, केरल आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने पंचायत की गुजारिश पर इलाके की जांच की थी। इसके बाद सरकार ने KSDMA को लिविंग लैब स्थापित करने का निर्देश दिया।
गांव के सभी घरों को मौसम की जानकारी के लिए एक लिंक दिया जाता है, जिससे उन्हें बारिश, हवा की गति और तापमान जैसी जरूरी जानकारियां मिलती हैं। जानकारी लेने वाले लोग वार्ड के व्हाट्सएप ग्रुप में दूसरों के साथ इसे शेयर करते हैं। ‘लिविंग लैब अप्रोच’ ने लोगों को आपातकालीन प्रक्रियाओं और निकासी मार्गों के बारे में भी बताया है।
ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन की देखभाल कौन करता है?
पंचायत अध्यक्ष एंटनी सेबेस्टियन ने बताया कि ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन से पहले, उन्हें इलाके में बारिश की सही जानकारी नहीं मिलती थी। यह स्टेशन गांव के मौसम के हिसाब से जानकारी देता है। उन्होंने कहा कि पहले वेदर अलर्ट दूर के केंद्रों के मौसम डेटा पर आधारित थे। अब, पंचायत के सभी वार्डों में 12 और स्टेशन लगाए जाएंगे ताकि हर इलाके को सही मौसम की जानकारी मिल सके। ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन की देखभाल का काम गांव के लोगों को दिया जाता है, जिससे आपदा प्रबंधन में उनकी भागीदारी बढ़ती है।
गांव में जल्द शुरू होंगी ये योजनाएं
गर्मी में हीट वेव की चेतावनी देने के लिए हीट एक्शन प्लान भी पाइपलाइन में है। इसके अलावा, पंचायत जल्द ही भूस्खलन के लिए शुरुआती चेतावनी प्रणाली भी स्थापित करेगी। आईआईटी-रुड़की द्वारा सीएसआईआर-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (रुड़की) के सहयोग से विकसित इस सिस्टम को अगले महीने लगाया जाएगा। इस सिस्टम में जमीन से जानकारी जुटाने के लिए स्वदेशी सेंसर और भूस्खलन की शुरुआती चेतावनी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/मशीन लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल किया जाएगा।