ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज जीतने के बाद भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने एक चुटीले अंदाज में उस विवाद पर टिप्पणी की, जब टीम को एशिया कप की ट्रॉफी नहीं दी गई थी। भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की टी20 सीरीज 2-1 से अपने नाम की, जिसका अंतिम मैच बारिश के कारण रद्द हो गया। इस जीत के साथ ही भारत ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी टी20 सीरीज की अजेय यात्रा को 13 साल तक बढ़ा दिया है। सीरीज जीतने के बाद, जब सूर्यकुमार से पूछा गया कि ट्रॉफी उठाने का अनुभव कैसा रहा, तो उन्होंने एशिया कप को लेकर उठे विवाद का सीधा लेकिन मजाकिया संदर्भ दिया।
उन्होंने कहा, “यह एहसास अद्भुत है कि आखिरकार ट्रॉफी को छुआ। जब मुझे सीरीज जीतने के बाद ट्रॉफी सौंपी गई, तो मैंने उसे अपने हाथों में महसूस किया। कुछ दिन पहले, हमारी महिला क्रिकेट टीम ने विश्व कप जीता है, वह ट्रॉफी भी भारत लौट आई है। यह बहुत खुशी की बात है, और इस ट्रॉफी को छूना भी बेहद सुखद अनुभव है।”
सूर्यकुमार यादव की यह टिप्पणी पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष मोहसिन नकवी की ओर इशारा कर रही थी, जिन्होंने भारत के एशिया कप जीतने के बावजूद ट्रॉफी सौंपने से मना कर दिया था। इस विवाद के कारण ट्रॉफी अभी भी दुबई स्थित एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) के मुख्यालय में ही रखी है।
बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया ने हाल ही में दुबई में हुई एक बैठक के बारे में जानकारी दी, जहां बीसीसीआई और पीसीबी के बीच एशिया कप ट्रॉफी विवाद को लेकर सकारात्मक चर्चा हुई। यह दोनों क्रिकेट बोर्डों के बीच विवाद शुरू होने के बाद पहली आमने-सामने की बातचीत थी। सैकिया ने स्पष्ट किया कि एशिया कप का मुद्दा आईसीसी की औपचारिक बैठक का हिस्सा नहीं था, लेकिन आईसीसी ने अनौपचारिक रूप से दोनों पक्षों को बातचीत करने का अवसर प्रदान किया।
सैकिया ने कहा, “यह बातचीत शुरू करने की एक अच्छी प्रक्रिया थी। दोनों पक्षों ने बैठक में सौहार्दपूर्ण तरीके से भाग लिया, जो आईसीसी बोर्ड की बैठक के साथ-साथ हुई। यदि चीजें सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ती हैं, तो निश्चित रूप से इस मुद्दे का जल्द ही समाधान हो जाएगा।”
हालांकि, मामला अभी भी उलझा हुआ है क्योंकि एशिया कप की ट्रॉफी अब भी ACC के दुबई कार्यालय में ही रखी है। रिपोर्टों के अनुसार, मोहसिन नकवी ने अपने स्टाफ को निर्देश दिया है कि उनकी सीधी अनुमति के बिना ट्रॉफी को कहीं न ले जाया जाए। पहले भी उन्होंने यह शर्त रखी थी कि भारतीय खिलाड़ियों को ट्रॉफी उनसे ही लेनी होगी, जिसे भारतीय टीम ने स्वीकार नहीं किया था।
