भारतीय क्रिकेट के नए कोच गौतम गंभीर ने कप्तान सूर्यकुमार यादव की जमकर तारीफ की है और उन्हें टी20 प्रारूप के लिए एक आदर्श खिलाड़ी बताया है। गंभीर के अनुसार, सूर्यकुमार का बेखौफ और आक्रामक रवैया T20 क्रिकेट की भावना के अनुरूप है।
गंभीर ने कहा, “कप्तान के तौर पर मेरी भूमिका सिर्फ सूर्या को खेल की समझ के आधार पर सलाह देना है। यह उनकी टीम है और उनका अंदाज़ टी20 के लिए बिल्कुल सही है। खेल में स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति बहुत ज़रूरी है, और सूर्या का व्यक्तित्व इसे बखूबी दर्शाता है। पिछले डेढ़ साल से उन्होंने मैदान पर और ड्रेसिंग रूम में एक शानदार माहौल बनाए रखा है।”
2024 टी20 विश्व कप जीतने के बाद से, सूर्या और गंभीर की जोड़ी ने भारतीय टीम की टी20 रणनीति में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। उनकी आक्रामक बल्लेबाजी शैली ने टीम को लगातार जीत दिलाई है, जिसमें हाल ही में यूएई में जीती गई एशिया कप ट्रॉफी भी शामिल है। अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच टी20 मैचों की श्रृंखला में यह जोड़ी टीम का नेतृत्व करेगी।
गंभीर ने अपनी कोचिंग फिलॉसफी पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हम हारने से नहीं डरेंगे। हमारा लक्ष्य निडर होकर खेलना है। बड़े मैचों में, खिलाड़ियों को गलतियाँ करने की छूट है, चाहे वह कैच छूटना हो, खराब शॉट खेलना हो या खराब गेंद फेंकना हो।”
उन्होंने आगे कहा, “गलतियाँ इंसान से ही होती हैं। महत्वपूर्ण यह है कि टीम के भीतर क्या सोचा जाता है। सूर्या और मैं इस बात पर सहमत हैं कि हमें गलतियों से नहीं डरना चाहिए। बड़ा मैच तभी जीता जा सकता है जब हम अधिक निडर और आक्रामक खेलें। एक सतर्क रवैया हमेशा प्रतिद्वंद्वी को बढ़त देता है।”
हाल के एशिया कप में सूर्यकुमार यादव का बल्ला भले ही शांत रहा हो, लेकिन गंभीर को इसकी कोई फिक्र नहीं है। गंभीर ने बताया, “सूर्या की फॉर्म चिंता का विषय नहीं है क्योंकि हमने एक आक्रामक शैली अपनाने का फैसला किया है। इस शैली में, विफलताएं निश्चित हैं। सूर्या आसानी से 30 गेंदों पर 40 रन बना सकते थे, लेकिन हमने तय किया है कि इस आक्रामक रवैये को अपनाते हुए असफल होना स्वीकार्य है। अभिषेक शर्मा अच्छी फॉर्म में हैं और जब सूर्या लय में लौटेंगे, तो वह भी जिम्मेदारी संभालेंगे।”
गंभीर का मानना है कि टी20 में व्यक्तिगत रनों से ज्यादा टीम की खेल की शैली महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “हमारी आक्रामक शैली के कारण बल्लेबाज शायद ज्यादा बार असफल हों, लेकिन अंततः मैदान पर टीम का प्रभाव (impact) सबसे ज्यादा मायने रखता है।”
