पाकिस्तान क्रिकेट में बड़ा फेरबदल हुआ है, जहां मोहम्मद रिजवान से वनडे टीम की कप्तानी छीन ली गई है। उनकी जगह युवा और अनुभवी तेज गेंदबाज शाहीन शाह अफरीदी को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस फैसले ने क्रिकेट पंडितों और प्रशंसकों के बीच बहस छेड़ दी है।
**नेतृत्व परिवर्तन पर पीसीबी का अचानक निर्णय**
पीसीबी ने यह बड़ा कदम रिजवान को वनडे कप्तानी सौंपने के लगभग एक साल के भीतर उठाया है। यह तब हुआ है जब शाहीन अफरीदी खुद कुछ समय पहले टी20ई कप्तानी गँवा चुके थे। यह बार-बार होने वाला नेतृत्व परिवर्तन पीसीबी की योजना और स्थिरता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।
**कोच हेसन की भूमिका और चयन समिति की राय**
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, व्हाइट-बॉल कोच माइक हेसन ने रिजवान को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पीसीबी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि हेसन ने रिजवान के साथ केवल एक श्रृंखला में काम करने के बावजूद, चयन समिति के कुछ सदस्यों और पूर्व कप्तानों सहित सलाहकार बोर्ड की मिलीभगत से यह बदलाव करवाया। यह निर्णय इस्लामाबाद में हुई बैठकों के बाद ही तय हो गया था।
**धार्मिक गतिविधियों पर चिंता और खिलाड़ियों की असहजता**
कुछ खबरों के अनुसार, रिजवान के धार्मिक दृष्टिकोण ने भी पीसीबी के कुछ अधिकारियों को असहज किया। रिजवान की टीम के भीतर धार्मिक प्रवचन आयोजित करने और खिलाड़ियों को नमाज के लिए प्रेरित करने की आदत को कुछ लोग क्रिकेट से इसका जुड़ाव कम करने वाला मानते थे। एक सूत्र ने बताया कि यह स्थिति कुछ खिलाड़ियों के लिए भी असहजता का कारण बन रही थी।
**स्पॉन्सरशिप को लेकर टकराव का शक**
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, रिजवान की कप्तानी जाने का एक प्रमुख कारण पीसीबी के कुछ प्रमुख प्रायोजकों, विशेष रूप से सट्टेबाजी कंपनियों के साथ उनके अनुबंधों का विरोध करना था। रिजवान ने कथित तौर पर पीसीबी प्रबंधन को स्पष्ट कर दिया था कि वह ऐसे किसी भी ब्रांड का प्रचार नहीं करेंगे, जो उनके धार्मिक या नैतिक मूल्यों के खिलाफ हो। इस रुख ने बोर्ड के वित्तीय हितधारकों के साथ तनाव पैदा कर दिया।
**रिजवान का वनडे कप्तानी का प्रदर्शन**
रिजवान के नेतृत्व में पाकिस्तान ने 20 वनडे मैच खेले, जिनमें से 9 में जीत और 11 में हार का सामना करना पड़ा। उनके कार्यकाल में कुछ अच्छी जीतें भी शामिल थीं, लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी में खराब प्रदर्शन और कुछ द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में हार ने उनकी कप्तानी पर सवाल उठाए। कई पूर्व खिलाड़ी और प्रशंसक इस बदलाव को खेल से अधिक आंतरिक राजनीति का परिणाम मानते हैं।
**शाहीन अफरीदी के सामने चुनौतियाँ**
अब शाहीन अफरीदी पर न केवल गेंदबाजी से टीम का नेतृत्व करने का दबाव होगा, बल्कि उन्हें बोर्ड के फैसलों से उत्पन्न हुई निराशा को दूर कर टीम का मनोबल भी बढ़ाना होगा। वनडे क्रिकेट में उनकी कप्तानी का यह नया सफर पीसीबी के लिए एक और महत्वपूर्ण परीक्षा साबित होगा।