ऋषभ पंत का नाम पहली बार 2016 में सुर्खियों में आया, जब उन्होंने अंडर-19 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया। 18 साल की उम्र में ही आईपीएल नीलामी में उन पर करोड़ों रुपये की बोली लगी। आज, 4 अक्टूबर को, वह 28 साल के हो गए हैं और क्रिकेट जगत में अपनी छाप छोड़ रहे हैं।
पंत का जन्म 4 अक्टूबर 1997 को उत्तराखंड के रुड़की में हुआ था, लेकिन उनके क्रिकेट करियर की शुरुआत दिल्ली में हुई। इसमें उनकी कड़ी मेहनत, परिवार का समर्थन और कोच की सलाह के साथ-साथ एक प्रसिद्ध गुरुद्वारे ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय एमएस धोनी भारतीय क्रिकेट के शिखर पर थे, और पंत ने भी विकेटकीपर बनने का फैसला किया।
उत्तराखंड में क्रिकेट के अवसर सीमित थे। इसलिए, पंत के परिवार ने उन्हें दिल्ली भेजा। 12 साल की उम्र में, वह अपनी मां के साथ दिल्ली के लिए रात की बस में यात्रा करते थे, जहां वे सोनेट क्रिकेट क्लब के कोच तारक सिन्हा से प्रशिक्षण लेते थे।
परिवार के पास दिल्ली में रहने का कोई ठिकाना नहीं था, इसलिए उन्होंने दक्षिण दिल्ली के मोती बाग साहिब गुरुद्वारे में शरण ली। पंत और उनकी मां ने यहीं पर रातें बिताईं, लंगर में खाना खाया और क्रिकेट एकेडमी में अभ्यास किया। गुरुद्वारा, जो गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़ा है, पंत के जीवन में एक महत्वपूर्ण पड़ाव बन गया।
1707 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगल बादशाह बहादुरशाह से मिलने जाते समय यहां शिविर लगाया था। गुरुद्वारे में शरण लेने के बाद पंत ने भी दृढ़ता दिखाई। 2017 में आईपीएल के दौरान उनके पिता का निधन हो गया, लेकिन उन्होंने 19 साल की उम्र में इस दुख को झेलते हुए बेंगलुरु में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए 57 रन की एक महत्वपूर्ण पारी खेली।