आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में एमएस धोनी पर गंभीर आरोप लगाने वालों के लिए मुश्किल समय शुरू हो गया है। मद्रास हाईकोर्ट ने धोनी की ओर से दायर एक दशक पुराने मानहानि केस में सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया है। धोनी ने दो प्रमुख मीडिया संस्थानों, एक जाने-माने पत्रकार और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी जी. संपत कुमार के खिलाफ 100 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए यह केस दायर किया था। आरोप है कि इन लोगों ने धोनी का नाम आईपीएल सट्टेबाजी घोटाले में शामिल किया था। जस्टिस सी.वी. कार्तिकेयन ने एक अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया है जो चेन्नई में सभी पक्षों और उनके वकीलों के लिए सुविधाजनक जगह पर धोनी के सबूत दर्ज करेगा। धोनी की सेलिब्रिटी स्थिति के कारण, उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति से हाईकोर्ट में व्यवधान हो सकता था, इसलिए यह कदम उठाया गया।
धोनी ने एक हलफनामा दायर कर 2014 से लंबित मानहानि मुकदमे की सुनवाई को आगे बढ़ाने की इच्छा जाहिर की है। धोनी ने बताया कि वे 20 अक्टूबर 2025 से 10 दिसंबर 2025 के बीच जिरह के लिए उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने कहा कि वे अधिवक्ता आयुक्त का पूरा सहयोग करेंगे और मुकदमे और सबूत दर्ज करने के संबंध में जारी सभी निर्देशों का पालन करेंगे। केस में देरी इसलिए हुई क्योंकि पक्षों ने विभिन्न राहतों के लिए कई आवेदन दिए थे। दिसंबर 2023 में, जस्टिस एस.एस. सुंदर और सुंदर मोहन की खंडपीठ ने रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था और 15 दिन की जेल की सजा सुनाई थी। हालांकि, 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा पर रोक लगा दी थी। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग केस 2013 में सामने आया था। इस मामले में श्रीसंत, अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण जैसे खिलाड़ी शामिल थे। चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन का नाम भी इस मामले में आया था। इसके बाद राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपरकिंग्स को दो साल के लिए आईपीएल से प्रतिबंधित कर दिया गया।