इंग्लैंड में शुभमन गिल की अगुवाई वाली भारतीय क्रिकेट टीम ने ओवल में खेले गए टेस्ट मैच में जीत हासिल कर प्रशंसकों का दिल जीत लिया। पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के अंतिम मुकाबले में टीम इंडिया ने हारते हुए भी बाजी मारी और इंग्लैंड को 6 रन से हराया। यह जीत सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि भारतीय खिलाड़ियों के लिए एक संदेश है, खासकर उन खिलाड़ियों के लिए जो टीम से ऊपर अपनी महत्वाकांक्षाओं को रखते हैं।
यह टेस्ट सीरीज तेंदुलकर-एंडरसन टेस्ट सीरीज की तरह ही याद की जाएगी। इस सीरीज में भारत ने हार को जीत में बदलने का शानदार प्रदर्शन किया। टेस्ट क्रिकेट की जीवंतता को भी इस सीरीज ने उजागर किया।
इस सीरीज को ऋषभ पंत और क्रिस वोक्स जैसे खिलाड़ियों के देश के प्रति समर्पण के लिए जाना जाएगा। पंत चोट के बावजूद बल्लेबाजी के लिए उतरे, जबकि वोक्स कंधे की चोट के बावजूद मैदान पर डटे रहे। मोहम्मद सिराज के जज्बे को भी सलाम किया जाएगा, जिन्होंने इस सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लिए।
सिराज ने 1100 से ज्यादा गेंदें फेंकने के बावजूद हार नहीं मानी और दिखाया कि वर्कलोड मैनेजमेंट उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। ओवल टेस्ट में उन्होंने 146 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी, जो उनके समर्पण को दर्शाता है।
सिराज, जो चौथे दिन एक कैच छोड़ने के बाद विलेन बनने वाले थे, पांचवें दिन भारत की जीत के हीरो बन गए, उन्होंने इंग्लैंड के 4 में से 3 विकेट लिए।
सिराज का प्रदर्शन टीम के लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब वह टीम इंडिया के पेस अटैक को लीड करते हैं। बुमराह के रहते सिराज ने 25 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें 64 विकेट लिए। वहीं, बुमराह के बिना सिराज ने 16 मैच खेले, जिसमें उन्होंने 49 विकेट लिए।
सिराज का जज्बा उन स्टार खिलाड़ियों के लिए एक उदाहरण है जो वर्कलोड मैनेजमेंट की बात करते हैं। यह दर्शाता है कि टीम से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
सिराज ने अपने प्रदर्शन और टीम इंडिया ने अपनी जीत से यह साबित कर दिया है कि कोई भी खिलाड़ी टीम से बड़ा नहीं होता। खेल के प्रति समर्पण ही महत्वपूर्ण है, और टीम की जीत में ही खिलाड़ी का सम्मान है।