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    Home»Chhattisgarh»भुवी सिद्धान्तों के “घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन” का असर
    Chhattisgarh

    भुवी सिद्धान्तों के “घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन” का असर

    Indian SamacharBy Indian SamacharOctober 4, 20233 Mins Read
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    भुवी सिद्धान्तों के “घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन” का असर
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    कोरबा। एसईसीएल की खदानों में स्थित ग्रामीण उद्योगों के संघर्ष से आजिज आ गए हैं। यही वजह है कि प्रभावितों ने इस बार एसईसीएल के खदानों की जगह प्रशासन जिले को निरस्त करने का निर्णय लिया। रणनीति के तहत भू-समूहों ने आज किसान सभा के बैनर तले नारा लगाने के साथ घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन की शुरुआत की। इस दौरान दोनों के प्रवेश द्वारों को जाम कर दिया गया। आख़िरकार प्रशासन जिले के साथ बातचीत हुई और रेतीले किसानों की खेती शुरू करने का निर्णय लिया गया।

    छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में एससीसीएल के कोरबा जिले के मानिंद भू-विन्यासों को पट्टे पर देना, पूर्व में किसानों की जमीन मूल बेचदार किसानों को वापस लेना, आधिपत्य रोजगार प्रकरणों, आजीविका प्रभावित क्षेत्र की संभावनाओं के साथ 14 सूत्रीय मांगो को लेकर 50 से अधिक गाँव के हजारों आख़री ने आज डोज़ क्रॉसिंग पर प्रतिबंध लगा दिया। जिला प्रशासन और यूनिट सीएल के कई बार अश्वासन से थके हुए भू-समुदायों ने इस बार आरपार की लड़ाई का मन बना लिया और एकजुट होकर यह प्रदर्शन किया।

    ओजेड के जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि जिला प्रशासन की मदद से एससीसीएल द्वारा कुसमुंडा, गेवरा, कोरबा, दीपका क्षेत्र में कई क्षेत्रों का अधिग्रहण किया गया है। इस प्रमाणित संपत्ति का शिकार गरीब किसान हुए हैं। आज भी हजारों की संख्या में भू-विनिमय लैपटॉप, जमीन वापसी, रोजगार, बसाहट और स्मारक के लिए पर्यटक के चक्कर काट रहे हैं। अधिग्रहण के बाद जिन जमीनों पर 40 सागरों में भी कोल इंडिया ने भौतिक कब्ज़ा नहीं किया है और मूल किसान ही वहां से तीर्थस्थल हैं, उन्हें किसानों को वापस जाना चाहिए। जब किसानों की जमीन पर अचल संपत्ति के दस्तावेज रखे जा रहे हैं, तो जमीन-जायदाद के हजारों किसानों की जमीन पर जमीन-जायदाद की जमीनें रखी जा रही हैं।

    700 दिनों से चल रहा है धरना-प्रदर्शन

    प्रशांत झा ने बताया कि एसईसीएल कुसमुंडा में जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर 700 दिनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है और कई बार प्रशासन और प्रबंधन की ओर से ध्यान आकर्षित किया गया है, लेकिन भू-विन्यास के उद्यमों के हितधारकों के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है. कोयले की दो दिनों तक की आर्थिक नाकेबंदी के बाद त्रिपोली वार्ता को टालने का काम भी उन्होंने किया है। इसलिए अब मानकीकरण किया जा रहा है।

    5 को होगी त्रिपक्षीय बातचीत

    इस प्रदर्शन के जारी रहने के दौरानमिशाल को देखते हुए जजों के निर्देश पर बातचीत में झाँसी हुई रैली में भुवि नाॅचलों के प्रतिनिधि, किसान सभा के प्रशांत, अपर सभापति और कटघोरा एसडीएम शामिल हुए। इस दौरान यह तय हो गया कि 5 अक्टूबर को 14 सूत्रीय जोड़ों पर चर्चा के लिए भूवि. किसान सभा ने कहा है कि बातचीत में कोई ठोस हल नहीं निकला तो एसईसीएल के सभी प्रोजेक्ट मुख्यालयों में भूवि. देर शाम तक यह बातचीत हुई और बाहर भुवि नासिक आचल के प्रवेश द्वार को लेकर बैठे रहे। उम्मीद की जा रही है कि 5 को होने वाली मीटिंग में यूसुफ का स्टाफ हाउस शामिल होगा।

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