झारखंड के हजारीबाग स्थित लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय जेल, जिसे जेपी जेल के नाम से भी जाना जाता है, से बुधवार को तीन सिद्धदोष कैदियों के रहस्यमय तरीके से फरार होने के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। इस घटना ने एक हाई-सिक्योरिटी जेल में सुरक्षा की स्थिति पर गंभीर चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिसके चलते एक बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया गया है।
जेल अधीक्षक चंद्रशेखर सुमन ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि भागने वाले तीनों कैदी मूल रूप से धनबाद जिले के निवासी हैं। उनकी पहचान और गिरफ्तारी में सहायता के लिए, उनके विस्तृत प्रोफाइल तैयार किए जा रहे हैं और विभिन्न पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, कैदियों के भागने का पता तब चला जब रोज़मर्रा की गिनती के दौरान तीन कैदियों के गायब होने का पता चला। जेल के कर्मचारियों ने फौरन जेल परिसर के भीतर ही उनकी तलाश शुरू कर दी थी, लेकिन जब वे नहीं मिले, तो मामले की गंभीरता को देखते हुए बाहरी एजेंसियों को सूचना दी गई।
जिला प्रशासन और पुलिस को तुरंत अलर्ट पर रखा गया, और जेल के आसपास के इलाके को तुरंत सील कर दिया गया। संदिग्ध स्थानों पर तलाशी अभियान तेज कर दिए गए हैं ताकि भागने वाले कैदियों को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके।
सुरक्षा को और पुख्ता बनाने के लिए, पड़ोसी जिलों को भी सतर्क कर दिया गया है। संभावित रास्तों पर नाकेबंदी बढ़ा दी गई है ताकि कैदी राज्य से बाहर न भाग सकें। फरार कैदियों पर नज़र रखने के लिए खुफिया तंत्र को भी सक्रिय किया गया है।
जेपी जेल, जो अपनी मजबूत सुरक्षा व्यवस्था के लिए जानी जाती है, में विचाराधीन कैदियों से लेकर कुख्यात अपराधियों और नक्सलियों तक को रखा जाता है। जेल में पांच-स्तरीय सुरक्षा, 24 घंटे की निगरानी और प्रशिक्षित गार्ड मौजूद हैं। यह घटना इस बात पर प्रकाश डालती है कि इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद कैसे कैदी भागने में सफल हो गए।
हाल ही में जेल की सुरक्षा खामियों को दूर करने के लिए कई कदम उठाए गए थे, जिसमें 12 सुरक्षाकर्मियों का निलंबन भी शामिल था। ऐसे में, यह ताजा घटनाक्रम जेल प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है और सुरक्षा प्रोटोकॉल की प्रभावशीलता पर सवालिया निशान लगाता है।
