केंद्र सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राजस्थान और झारखंड के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए 723 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की है। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत यह आवंटन राज्य सरकारों के ग्रामीण विकास कार्यक्रमों को नई ऊर्जा देगा।
यह वित्तीय सहायता, जो वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ‘अबंधित अनुदान’ की पहली किश्त के रूप में आई है, राजस्थान को 303.04 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। इस राशि से राज्य के 3,857 ग्राम पंचायतों, 339 ब्लॉक परिषदों और 24 जिला परिषदों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा, राजस्थान के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए पिछले वित्तीय वर्ष (2024-25) की रोकी गई अनुपूरक राशि में से 145.24 करोड़ रुपये भी जारी किए गए हैं।
झारखंड के लिए, सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ‘अबंधित अनुदान’ की पहली किश्त के रूप में 275.13 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह धनराशि राज्य की 4,342 ग्राम पंचायतों, 253 ब्लॉक परिषदों और 24 जिला परिषदों के बीच वितरित की जाएगी।
पंचायती राज मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित अनुदानों की प्रक्रिया को संचालित करता है, जिसे वित्त मंत्रालय अंतिम रूप देता है। ये अनुदान प्रत्येक वित्तीय वर्ष में दो बराबर किश्तों में जारी किए जाते हैं। ‘अबंधित अनुदान’ लचीले होते हैं और इनका उपयोग स्थानीय निकाय अपनी आवश्यकतानुसार संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची के तहत 29 महत्वपूर्ण विषयों पर कर सकते हैं, सिवाय वेतन और प्रशासनिक खर्चों के। दूसरी ओर, ‘आबद्ध अनुदान’ विशिष्ट उद्देश्यों जैसे स्वच्छता, ओडीएफ स्थिति का रखरखाव, ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन, जल संचयन और पीने के पानी की व्यवस्था के लिए होते हैं। यह उल्लेखनीय है कि हाल ही में असम और ओडिशा के ग्रामीण स्थानीय निकायों को भी इसी वित्त आयोग के तहत क्रमशः 223 करोड़ रुपये और 444.38 करोड़ रुपये जारी किए गए थे।
