झारखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य की पेशा (PESA) नियमावली की जमकर सराहना करते हुए कहा है कि यह देश भर के लिए एक मिसाल कायम करेगी। यह नियमावली अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तैयार की गई है। मुख्यमंत्री का यह बयान आदिवासियों और स्थानीय समुदायों के अधिकारों के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस नियमावली के लागू होने से ग्राम सभाओं को कई महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त होंगे, जिनमें प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, भूमि अधिग्रहण की निगरानी और पारंपरिक संस्थानों का विनियमन शामिल है। पेशा अधिनियम के सिद्धांतों का पालन करते हुए, यह कानून सुनिश्चित करेगा कि विकास परियोजनाएं उन लोगों के हित में हों जो सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं।
मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि झारखंड का यह कदम अन्य राज्यों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करेगा। यह स्वदेशी समुदायों को उनके अपने मामलों को नियंत्रित करने और अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने की शक्ति प्रदान करता है। इस पहल से दूरदराज के इलाकों में भी विकास की गति तेज होने और योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन की अपेक्षा है।
यह नियमावली ग्राम स्तर पर सुशासन को बढ़ावा देने और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाने में सहायक सिद्ध होगी। स्थानीय नेतृत्व को मजबूत करके, यह नागरिकों को सशक्त बनाती है और उन्हें विकास की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाती है। झारखंड का यह अनूठा प्रयास निश्चित रूप से पूरे देश में स्थानीय स्वशासन के लिए एक नया मानक स्थापित करेगा।
