पलामू के प्रतिष्ठित साहित्यिक और सांस्कृतिक संगठन, इप्टा पलामू के पूर्व अध्यक्ष, शैलेश कुमार के दुखद निधन पर बुधवार की शाम एक मार्मिक शोक सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर, इप्टा परिवार और सांस्कृतिक समुदाय के सदस्यों ने एकत्र होकर उनके स्मृति को नमन किया और उनके जीवन तथा कार्यों पर प्रकाश डाला।
प्रेम प्रकाश और धीरेंद्र कुमार ने साझा किया कि शैलेश कुमार एक शिक्षक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए भी सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते थे। इप्टा पलामू के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने संगठन के सांस्कृतिक अभियानों को मजबूती दी। यह दिलचस्प है कि उनके पिता, वाल्मीकि सिंह, भी एक जाने-माने प्राचार्य और इप्टा पलामू के अध्यक्ष रह चुके थे। शैलेश कुमार ने इस परंपरा को जीवित रखते हुए एकता और प्रगतिशील विचारों के प्रसार में योगदान दिया।
भूगोल के प्राध्यापक शैलेश कुमार की साहित्य, विशेष रूप से कविता के प्रति गहरी ललक थी। उनकी कविताओं में अक्सर सामाजिक-राजनीतिक व्यंग्य और जीवन के गहन अनुभवों की झलक मिलती थी। पत्नी के निधन के बाद उन्होंने अपनी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और दिल्ली में अपने परिवार के साथ रह रहे थे। इसके बावजूद, उनका पलामू इप्टा की गतिविधियों से जुड़ाव बना रहा और वे फोन पर निरंतर संपर्क में रहते थे। उन्होंने ‘सांस्कृतिक पाठशाला’ जैसी पहल की विशेष रूप से प्रशंसा की थी।
शोक सभा के समापन पर, इप्टा पलामू के सचिव रवि शंकर ने शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शैलेश कुमार की सोच और कार्यप्रणाली को आगे ले जाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसके उपरांत, सभा में उपस्थित सभी सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने की प्रार्थना की।
इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में प्रलेस के अध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव, अमन चक्र, राजीव रंजन, प्रेम कुमार, समरेश सिंह, संजीत दुबे, धीरेंद्र कुमार, भोला जी और प्रेम प्रकाश जैसे कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। जिन सदस्यों का आना संभव नहीं हो पाया, उन्होंने इप्टा पलामू के व्हाट्सऐप ग्रुप पर संदेश भेजकर अपनी हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त कीं। प्रेम भसीन, सुरेश सिंह, शीला श्रीवास्तव, शशि पांडे, आशा शर्मा, संजीव कुमार संजू, अजीत कुमार, घनश्याम कुमार सहित कई अन्य साहित्यकारों और सांस्कृतिक कर्मियों ने भी उन्हें स्मरण किया।
