रांची: झारखंड के कृषि विभाग में पीडीएमसी योजना के तहत कथित भ्रष्टाचार का मामला गरमा गया है। आरोप है कि सीआईपीईटी (CI PET) की जांच में फेल साबित हुईं और ब्लैकलिस्ट की गईं 12 कंपनियों को नियमों को ताक पर रखकर दोबारा बड़े कार्यादेश सौंपे गए हैं। इस गंभीर मुद्दे को भाकपा नेता अजय सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाया और मुख्यमंत्री के सुशासन के दावों पर प्रश्नचिन्ह लगाया।
अजय सिंह ने बताया कि ये वही कंपनियाँ हैं जिन्हें 2023 में किसानों को खराब गुणवत्ता वाले कृषि उपकरण आपूर्ति करने के आरोप में ब्लैकलिस्ट किया गया था। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPET) की रैंडम जांच में इनके उत्पाद ‘नॉन-स्टैंडर्ड’ पाए गए थे, जिसके बाद इन्हें पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। इन कंपनियों के बैंक गारंटी और भुगतानों पर भी रोक लगा दी गई थी।
हालांकि, इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि मात्र आठ दिनों के भीतर, बिना किसी विस्तृत जांच या स्पष्टीकरण के, इन कंपनियों को प्रतिबंध सूची से बाहर कर दिया गया और उन्हें फिर से करोड़ों के ठेके दे दिए गए। वर्तमान में, इन कंपनियों के पास राज्य भर में कृषि विभाग के 60% कार्यादेश हैं। यह अधिकारियों की मिलीभगत और सांठगांठ की ओर स्पष्ट इशारा करता है, जिससे सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी छवि को नुकसान पहुंच रहा है।
ब्लैकलिस्ट की गई प्रमुख कंपनियों में मोहित इंडिया, मक्क नाउ इंडस्ट्रीज, ग्लोबल ई मैकेनिकल इक्विपमेंट, प्रीमियर इरिगेशन, एड्रिटेक प्राइवेट लिमिटेड, निंबस पाइप्स लिमिटेड, मोहित पॉलीटेक प्राइवेट लिमिटेड, वेदांता पॉलिमर्स प्राइवेट लिमिटेड, रुंगटा इरिगेशन लिमिटेड, श्री भंडारी प्लास्टिक प्राइवेट लिमिटेड, भारत ड्रॉप इरिगेशन एंड एग्रो, आरएम ड्रिप एंड स्प्रिंकलर सिस्टम लिमिटेड और समया इरिगेशन प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मांग की है कि सरकार तत्काल इन सभी कंपनियों की गहन जांच कराए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। किसानों के हितों की रक्षा की जानी चाहिए और सरकारी योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने से रोका जाना चाहिए।
