रांची, झारखंड – एक हैरतअंगेज मेडिकल चमत्कार में, पारस हॉस्पिटल, एचईसी ने एक ऐसे 30 वर्षीय युवक की जान बचाई है जिसके किडनी, लिवर, फेफड़े और मस्तिष्क जैसे कई महत्वपूर्ण अंग फेल हो चुके थे। गंभीर संक्रमण के कारण मरीज को बेहोशी, तेज बुखार और सांस लेने में दिक्कत की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गहन जांचों के बाद, उसे सेफ्टिक एन्सेफैलोपैथी, फेफड़ों में गंभीर संक्रमण (प्लूरल इफ्यूजन), एक्यूट लिवर फेल्योर और किडनी फेल्योर से पीड़ित पाया गया।
मरीज की हालत इतनी गंभीर थी कि उसका शरीर बिल्कुल भी पेशाब नहीं बना रहा था, जिसके कारण तत्काल हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया शुरू की गई। फेफड़ों में जमा हुआ सारा पानी एक विशेष चेस्ट ट्यूब के ज़रिए बाहर निकाला गया। जीवन रक्षक दवाओं, उच्च-क्षमता वाली एंटीबायोटिक्स और विशेष गहन चिकित्सा देखभाल के साथ, मरीज को कृत्रिम सांस के लिए वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ा।
डॉ. अशोक कुमार वैद्य, नेफ्रोलॉजी विभाग, पारस हॉस्पिटल, एचईसी, और उनकी विशेषज्ञ टीम के अथक प्रयासों, नियमित हेमोडायलिसिस सत्रों, ब्लड और प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन, और विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञताओं के बीच प्रभावी समन्वय के चलते मरीज की स्थिति में असाधारण सुधार देखा गया। करीब डेढ़ महीने तक चले इस गहन उपचार के बाद, मरीज के लिवर और किडनी ने फिर से काम करना शुरू कर दिया। पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर, अस्पताल ने मरीज को खुशी-खुशी छुट्टी दे दी। अब वह नियमित रूप से ओपीडी में आकर अपनी स्वास्थ्य जांच करवा रहा है और जीवन की ओर सफलतापूर्वक लौट रहा है।
इस उपलब्धि पर बोलते हुए डॉ. अशोक कुमार वैद्य ने कहा, “यह एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण मामला था। मरीज की नाजुक स्थिति को देखते हुए, हमने हर संभव कदम उठाया। समय पर डायग्नोसिस, निरंतर हेमोडायलिसिस और डॉक्टरों की टीम के बीच उत्कृष्ट समन्वय से ही यह संभव हुआ। यह घटना गंभीर मल्टी-ऑर्गन फेल्योर के रोगियों के लिए आशा की किरण है।”
पारस हॉस्पिटल, एचईसी के फैसिलिटी डायरेक्टर, डॉ. नीतेश कुमार ने कहा, “हमारी टीम हर गंभीर परिस्थिति में सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस मरीज का सफल उपचार हमारी टीम की विशेषज्ञता, उन्नत तकनीक और सामूहिक भावना का प्रतीक है।”
