अपने धर्म की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहने का एक प्रेरणादायक संदेश देते हुए, डॉ. सुमन ने लोगों से अपनी धार्मिक पहचान और मूल्यों के प्रति सजग रहने का आह्वान किया है। यह समय की मांग है कि हम अपनी आस्थाओं को समझें और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए सक्रिय रहें।
डॉ. सुमन के विचार में, धर्म व्यक्ति को आंतरिक शांति और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है। यह हमें विभिन्न परिस्थितियों में संयम और धैर्य बनाए रखने की प्रेरणा देता है। इसलिए, उन्होंने जोर देकर कहा कि अपने धर्म की शिक्षाओं को जीवन में उतारना और दूसरों को भी इसके महत्व से अवगत कराना अत्यंत आवश्यक है।
धर्म की रक्षा केवल आडंबर या विरोध तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अपनी जड़ों को समझना, उन्हें आत्मसात करना और बदलते परिवेश में भी उन्हें प्रासंगिक बनाए रखना है। डॉ. सुमन ने सुझाव दिया कि ज्ञानवर्धक चर्चाओं, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और धार्मिक साहित्य के अध्ययन से हम अपनी आस्था को और अधिक गहराई से जान सकते हैं।
यह एक सार्वभौमिक सत्य है कि सुदृढ़ धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्य एक समाज को एकता और स्थिरता प्रदान करते हैं। डॉ. सुमन ने आशा व्यक्त की कि लोग अपने धर्म के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे और सक्रिय रूप से इसकी रक्षा और संवर्धन में भाग लेंगे, जिससे एक बेहतर भविष्य का निर्माण हो सके।
