झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता के अचानक इस्तीफे ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है। इस इस्तीफे के तार सीधे तौर पर शराब घोटाले और उससे जुड़े वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे से जुड़ रहे हैं। यह बात तब से ही हवा में थी जब 19 सितंबर को सरकार ने अनुराग गुप्ता से एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) का प्रभाव वापस ले लिया था।
विनय चौबे, जो शराब घोटाले के आरोपी थे, को एसीबी ने गिरफ्तार किया था। मगर, विडंबना देखिए कि तीन महीने की तय सीमा के भीतर एसीबी उनके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं कर सका। इसका सीधा फायदा विनय चौबे को मिला और उन्हें शराब घोटाले के मामले में जमानत मिल गई। हालांकि, वह जमीन घोटाले के मामले में अभी भी सलाखों के पीछे हैं।
यह माना जा रहा है कि चार्जशीट दाखिल करने में हुई देरी के लिए डीजीपी अनुराग गुप्ता को जिम्मेदार ठहराया गया। चूंकि एसीबी उन्हीं के नियंत्रण में था, इसलिए सरकार पर अपनी कार्यशैली को लेकर गंभीर सवाल उठे। इस घटनाक्रम ने प्रशासनिक गलियारों में नाराजगी को भी जन्म दिया, खासकर आईएएस अधिकारियों के बीच।
खास बात यह है कि अनुराग गुप्ता, जिन्हें सरकार ने रिटायरमेंट के बाद दो साल का एक्सटेंशन दिया था और जिनके लिए खास नियम बनाए गए थे, उन्हें आखिरकार इस्तीफा देना ही पड़ा। सरकार से टकराव के चलते उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। इस इस्तीफे के पीछे कई अनकहे राज और भ्रष्टाचार से जुड़े आरोप भी बताए जा रहे हैं, जिन्होंने मामले को इतना गंभीर बना दिया कि सरकार को अपने इतने भरोसेमंद अधिकारी से त्यागपत्र लेना पड़ा।
एक अन्य कारण हजारीबाग जमीन घोटाले से जुड़ा बताया जा रहा है। इस मामले में आरोपी नेक्स्टजेन के मालिक विनय सिंह, जिनकी पहुंच बड़े राजनीतिक गलियारों तक है, की गिरफ्तारी ने भी डीजीपी पर दबाव बढ़ाया।
इस बीच, सरकार ने तदाशा मिश्र को नया प्रभारी डीजीपी नियुक्त किया है। वरिष्ठता के क्रम में किसी भी तरह का विवाद न हो, इसलिए यह कदम उठाया गया है। झारखंड में पहली बार किसी महिला आईपीएस अधिकारी का डीजीपी बनना एक ऐतिहासिक पल है, और तदाशा मिश्र को इस उपलब्धि के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
