आदिवासियों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में भाजपा द्वारा आहूत ‘कोल्हान बंद’ ने बुधवार को पश्चिमी सिंहभूम जिले में जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। बंद के आह्वान के चलते सड़कों पर सन्नाटा छा गया और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अधिकांश प्रतिष्ठान बंद रहे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार और स्थानीय पुलिस प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जमकर प्रदर्शन किया। चक्रधरपुर, जगन्नाथपुर और सोनुआ जैसे इलाकों में भी बंद का व्यापक असर देखा गया, जिससे आम लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
इस विरोध प्रदर्शन की जड़ें सोमवार रात हुई उस हिंसक झड़प में हैं, जब ग्रामीणों ने एनएच-220 और चाईबासा बाइपास पर ‘नो एंट्री’ के विरोध में परिवहन मंत्री दीपक बिरुवा के निवास का घेराव किया था। तांबो चौक पर प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच टकराव इतना बढ़ गया कि पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। आंसू गैस के इस्तेमाल और लाठीचार्ज के बावजूद भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। इस हिंसक झड़प में एसडीपीओ समेत 11 पुलिसकर्मी और कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए। पुलिस ने इस मामले में 74 लोगों को नामजद करते हुए 500 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया और 15 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें पांच महिलाएं शामिल हैं।
भाजपा ने इस घटना को सरकार की क्रूरता बताते हुए आंदोलन को तेज कर दिया है। वहीं, सत्तारूढ़ जेएमएम ने इस बंद के लिए भाजपा और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों चंपाई सोरेन व मधु कोड़ा को जिम्मेदार ठहराया है। जेएमएम का तर्क है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर ‘नो एंट्री’ लागू करने का अधिकार केंद्र सरकार का है, और इस मुद्दे पर राज्य सरकार को घसीटना गलत है।
उल्लेखनीय है कि घाटशिला विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर पूर्वी सिंहभूम जिले को इस बंद से बाहर रखा गया था। इसी वजह से वहां बंद का असर न्यूनतम रहा, जबकि पश्चिमी सिंहभूम में लोगों को सामान्य जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ा।
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