रांची: झारखंड सरकार ने राज्य में ट्रांसजेंडरों को सरकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है। मुख्य सचिव अलका तिवारी ने झारखंड ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की बैठक में अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि सर्वेक्षण का उद्देश्य ट्रांसजेंडरों की जिलेवार संख्या, उनकी आवश्यकताओं और उनकी अपेक्षाओं का पता लगाना है। इससे उन्हें कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने और उनकी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडरों की पहचान संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए उपायुक्तों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समितियों का गठन किया जाएगा।
बैठक में यह भी बताया गया कि ट्रांसजेंडरों को अपनी पहचान उजागर करने में झिझक होती है, जिसके कारण उन्हें पहचान पत्र, आरक्षण, पेंशन, आयुष्मान कार्ड और गरिमा गृह जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है।
इसके अतिरिक्त, बोर्ड द्वारा “ट्रांसजेंडर सपोर्ट यूनिट” का गठन किया जाएगा, जो ट्रांसजेंडरों से जुड़े मुद्दों पर विचार करेगी और उनकी समस्याओं का समाधान करेगी।
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में ट्रांसजेंडरों की कुल संख्या 4,87,803 है, जबकि झारखंड में यह संख्या 13,463 है। ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड इस समुदाय के लिए योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन में विभिन्न विभागों का सहयोग करता है।
बैठक में गृह सचिव वंदना दादेल, समाज कल्याण सचिव मनोज कुमार, वित्त सचिव प्रशांत कुमार और ग्रामीण विकास सचिव के श्रीनिवासन सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।