झारखंड के चर्चित शराब घोटाले में फंसे आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) कोर्ट से जमानत मिल गई है। यह घोटाला लगभग 100 करोड़ रुपये का है, जिससे राज्य सरकार को 38 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ था। अदालत ने जमानत देते हुए कई शर्तें भी लगाई हैं, जिनमें बिना अनुमति राज्य से बाहर न जाना और मोबाइल नंबर न बदलना शामिल है।
आईएएस अधिकारी के वकील ने बताया कि समय पर चार्जशीट दाखिल न होने के कारण डिफ़ॉल्ट बेल पिटीशन दायर की गई थी। कोर्ट ने चौबे को 25-25 हजार रुपये के दो निजी मुचलके भरने का भी आदेश दिया है।
1999 बैच के आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे को 20 मई को एसीबी ने पूछताछ के लिए बुलाया था, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
यह घोटाला 2022 में झारखंड में लागू की गई छत्तीसगढ़ मॉडल पर आधारित नई शराब नीति से जुड़ा है। इस नीति के लागू होने से सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ था, जिसके पीछे छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट और अवैध शराब की सप्लाई को जिम्मेदार ठहराया गया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अक्टूबर 2024 में इस मामले में विनय कुमार चौबे और अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की थी। जमानत मिलने पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि लगभग 1000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में एसीबी ने जानबूझकर चार्जशीट दाखिल नहीं की, जिससे चौबे की जमानत आसान हो गई। उनका आरोप है कि हेमंत सरकार ने ईडी की जांच को प्रभावित करने के लिए ऐसा किया था।
विनय कुमार चौबे ने पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव और झारखंड के मुख्य चुनाव अधिकारी के रूप में भी काम किया था।