मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूँ। मेरे सर से पिता का साया ही नहीं उठा, बल्कि झारखंड की आत्मा का एक मजबूत खंभा गिर गया।
मैं उन्हें सिर्फ ‘बाबा’ नहीं कहता था, वे मेरे लिए मार्गदर्शक थे, मेरे विचारों की नींव थे, और उस विशाल जंगल की तरह थे जिसने हजारों-लाखों झारखंड के लोगों को धूप और अन्याय से बचाया।
मेरे बाबा का जीवन बहुत ही साधारण तरीके से शुरू हुआ। उनका जन्म नेमरा गांव के एक छोटे से घर में हुआ था, जहां गरीबी और भूख थी, लेकिन साहस की कोई कमी नहीं थी। उन्होंने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया, और जमींदारों के शोषण ने उन्हें जीवन भर संघर्ष करने की आग दी।
मैंने उन्हें हल चलाते हुए देखा, लोगों के बीच बैठते हुए देखा। वे सिर्फ भाषण नहीं देते थे, बल्कि लोगों के दुखों को जीते थे। बचपन में, जब मैं उनसे पूछता था: “बाबा, लोग आपको दिशोम गुरु क्यों कहते हैं?” तो वे मुस्कुराते और कहते थे, “क्योंकि बेटा, मैंने केवल उनका दुख समझा और उनकी लड़ाई को अपनी बना ली।”
यह उपाधि न तो किसी किताब में लिखी गई थी और न ही संसद ने दी थी, बल्कि यह झारखंड के लोगों के दिलों से निकली थी। ‘दिशोम’ का अर्थ है समाज, और ‘गुरु’ का अर्थ है वह जो रास्ता दिखाता है। और सच कहूं तो, बाबा ने हमें केवल रास्ता नहीं दिखाया, बल्कि हमें चलना सिखाया।
बचपन में, मैंने उन्हें संघर्ष करते देखा, बड़े-बड़ों से लड़ते देखा। मैं डरता था, लेकिन बाबा कभी नहीं डरे। वे कहते थे: “अगर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अपराध है, तो मैं बार-बार दोषी बनूंगा।”
बाबा का संघर्ष किसी किताब में नहीं समझाया जा सकता। यह उनके पसीने, उनकी आवाज और उनकी फटी हुई एड़ियों में था, जो चप्पलों से ढकी हुई थीं। जब झारखंड राज्य बना, तो उनका सपना सच हो गया, लेकिन उन्होंने कभी भी सत्ता को अपनी उपलब्धि के रूप में नहीं देखा। उन्होंने कहा, “यह राज्य मेरे लिए कोई कुर्सी नहीं है, यह मेरे लोगों की पहचान है।”
आज, बाबा नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज मेरे भीतर गूंजती है। मैंने आपसे लड़ना सीखा, बाबा, झुकना नहीं। मैंने आपसे बिना किसी स्वार्थ के झारखंड से प्यार करना सीखा। अब आप हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आप झारखंड के हर रास्ते में हैं। आप हर मांदर की ताल में हैं, हर खेत की मिट्टी में हैं, और हर गरीब की आंखों में झांकते हैं।
आपने जो सपना देखा, वह अब मेरा वादा है। मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा, आपके नाम को मिटने नहीं दूंगा। आपका संघर्ष अधूरा नहीं रहेगा।
बाबा, अब आप आराम करें। आपने अपना कर्तव्य पूरा किया। अब हमें आपके नक्शेकदम पर चलना है। झारखंड आपका ऋणी रहेगा। मैं, आपका बेटा, आपका वादा निभाऊंगा।
वीर शिबू जिंदाबाद – जिंदाबाद, जिंदाबाद! दिशोम गुरु अमर रहें। जय झारखंड, जय जय झारखंड।