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    Home»Jharkhand»डकरा, केडीएच और पुरनाडीह परियोजनाओं में ठप पड़ी गतिविधियां,सीसीएल को लाखों का नुकसान
    Jharkhand

    डकरा, केडीएच और पुरनाडीह परियोजनाओं में ठप पड़ी गतिविधियां,सीसीएल को लाखों का नुकसान

    Indian SamacharBy Indian SamacharMay 29, 20253 Mins Read
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    Khaladi :   खलारी प्रखंड स्थित कोयलांचल क्षेत्र में नक्सली संगठनों का डरावना साया एक बार फिर गहराने लगा है। बुधवार को डकरा, केडीएच और पुरनाडीह परियोजनाओं के तीन प्रमुख कांटाघरों पर सन्नाटा छा गया, जिससे कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी सीसीएल को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं, क्षेत्र में रह रहे आम लोग दहशत में हैं और मजदूर वर्ग अपने घरों में सिमट गया है।

    व्हाट्सएप कॉल पर जानलेवा धमकी, ठप हुई कोयला आपूर्ति

    प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन टीएसपीसी के नाम पर “चिराग जी” द्वारा कई कोयला लिफ्टरों और सीसीएल कर्मचारियों को व्हाट्सएप कॉल कर सीधे जान से मारने की धमकी दी गई। धमकी के बाद कांटाघरों में कोयले की तुलाई का कार्य तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया। कोयला लोडेड ट्रकों की आवाजाही पर भी रोक लग गई, जिससे उत्पादन और परिवहन दोनों बुरी तरह प्रभावित हुए।

    कोयला लदान पर निर्भर मजदूरों में खौफ

    पुरनाडीह-पिपरवार थाना क्षेत्र के आस-पास बसे गांवों के मजदूर जो कोयला ढुलाई पर आश्रित हैं, अब अपने घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं। नक्सलियों की ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया है कि कोई भी काम न करे और क्षेत्र खाली कर दे। इससे स्थानीय आबादी में भय और असुरक्षा की भावना गहराती जा रही है। लोगों ने प्रशासन से तत्काल सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग की है।

    प्रशासन ने दिए संचालन के निर्देश, कर्मचारियों ने रखी सुरक्षा की शर्त

    घटनाक्रम की गंभीरता को देखते हुए खलारी डीएसपी आरएन चौधरी ने मौके पर पहुंचकर कांटा कर्मचारियों से बातचीत की और दोपहर के बाद कांटाघरों को चालू करने का निर्देश दिया। कर्मचारियों ने कार्य शुरू करने से पूर्व पुख्ता सुरक्षा की मांग रखी, जिसके बाद शाम को आंशिक रूप से कांटाघरों का संचालन बहाल किया गया। हालांकि, स्थिति अभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाई है।

    सवाल बड़ा है: कब खत्म होगा यह खौफ?

    कोयलांचल में यह घटना सिर्फ औद्योगिक ठहराव की नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था की भी बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। यह सवाल अब गंभीर होता जा रहा है कि क्या इस क्षेत्र के लोग हमेशा नक्सली धमकियों और बंदूकों की डर से जीवन जीने को मजबूर रहेंगे?

    राज्य सरकार व प्रशासन के लिए यह चेतावनी है कि अगर समय रहते ठोस और प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, तो कोयला उत्पादन और उद्योगों पर इसका दीर्घकालिक असर पड़ सकता है।

    राज्य भर में जारी है ऑपरेशन, फिर भी असुरक्षित हैं औद्योगिक क्षेत्र

    गौरतलब है कि झारखंड पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा राज्य के कई जिलों में नक्सल विरोधी अभियान चलाए जा रहे हैं। हाल के दिनों में पलामू और लातेहार जैसे इलाकों में मुठभेड़ में कई नक्सलियों को मार गिराया गया है। हथियारों की बरामदगी भी हुई है। लेकिन इसके बावजूद, कोयलांचल जैसे प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र अब भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो पाए है

    और पुरनाडीह परियोजनाओं में केडीएच गतिविधियां ठप पड़ी डकरा
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