नई दिल्ली: हाल ही में, भारत ने बंगाल की खाड़ी में पानी के भीतर से एक शक्तिशाली बैलिस्टिक मिसाइल का गुप्त परीक्षण किया है, जो देश की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करता है। 23 दिसंबर को हुए इस परीक्षण की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई थी। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, यह परमाणु-सक्षम K-4 मिसाइल थी, जिसे INS अरिघात पनडुब्बी से लॉन्च किया गया था।
इस परीक्षण को गोपनीय रखने के लिए, संबंधित हवाई क्षेत्र के लिए जारी किए गए नोटिस को वापस ले लिया गया था। यह कदम इस क्षेत्र में चीनी नौसैनिक निगरानी की उपस्थिति को देखते हुए उठाया गया था। रक्षा मंत्रालय, DRDO या भारतीय नौसेना की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
रणनीतिक मामलों के जानकारों का मानना है कि यह परीक्षण भारत की “दूसरी स्ट्राइक” क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। इसका मतलब है कि यदि भारत पर कोई पहला परमाणु हमला होता है, तो भी वह समुद्र में छिपी अपनी पनडुब्बियों से जवाबी हमला करने में सक्षम होगा। यह भारत की “नो फर्स्ट यूज” परमाणु नीति के तहत एक महत्वपूर्ण निवारक है।
K-4 मिसाइल भारत की अपनी विकसित की हुई K-सीरीज़ का हिस्सा है, जिसे खास तौर पर अरिहंत-श्रेणी की पनडुब्बियों के लिए बनाया गया है। इस मिसाइल की रेंज लगभग 3,500 किलोमीटर बताई जा रही है, जो कि 3,000 से 4,000 किलोमीटर के बीच हो सकती है। यह पिछले K-15 मिसाइल (750 किमी रेंज) की तुलना में काफी अधिक है।
लगभग 12 मीटर लंबी और 1.3 मीटर व्यास वाली यह मिसाइल 17-20 टन वजनी है और दो टन तक का पेलोड ले जा सकती है, जिसमें परमाणु हथियार भी शामिल है। दो-स्टेज वाले सॉलिड फ्यूल रॉकेट से चलने वाली K-4 को पानी के नीचे से लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह हवा में भी दिशा बदल सकती है और दुश्मन की मिसाइल रक्षा प्रणालियों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है।
अरिहंत-श्रेणी की पनडुब्बियों में चार K-4 मिसाइलें ले जाने की क्षमता है, जबकि भविष्य में बनने वाली पनडुब्बियों में यह संख्या आठ तक हो सकती है। INS अरिहंत से इस मिसाइल का सफल परीक्षण नवंबर 2024 में भी हो चुका है, जो इसके परिचालन में आने की ओर इशारा करता है।
इस मिसाइल की रेंज इतनी है कि यह पाकिस्तान के लगभग सभी प्रमुख शहरों, जैसे कराची, लाहौर और इस्लामाबाद को आसानी से निशाना बना सकती है। इसके अलावा, यह चीन के दक्षिणी और मध्य भागों, जिसमें बीजिंग और शंघाई जैसे बड़े शहर शामिल हैं, को भी अपनी जद में लेती है।
रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के परीक्षण भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को दर्शाते हैं और उसकी परमाणु निवारक क्षमता को विश्वसनीय बनाते हैं। वे यह भी कहते हैं कि समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह किसी हमले के बजाय निवारक पर जोर देता है।
