बिहार के किशनगंज में भारतीय सेना के एक नए सैन्य कैंप की स्थापना को लेकर AIMIM और कांग्रेस के विधायकों के रुख ने सबको हैरान कर दिया है। इन नेताओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का विरोध करने के लिए मोर्चा खोल दिया है, जिससे उनके इरादों पर सवाल उठ रहे हैं।
**विरोध का अनूठा तरीका:**
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ-साथ कांग्रेस के विधायकों ने भी किशनगंज में सेना के कैंप के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। उन्होंने जनता को लामबंद कर जिला मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया है कि सेना के कैंप को किसी भी कीमत पर नहीं बनने दिया जाएगा।
**किसानों को मोहरा बनाना?**
इन राजनेताओं का मुख्य तर्क यह है कि जमीन अधिग्रहण से किसानों की आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा। वे यह बात छुपा रहे हैं कि सरकार किसानों को उनकी जमीन के लिए बाजार दर के अनुसार उचित मुआवजा देने को तैयार है। असलियत यह है कि वे किसानों और सैनिकों के बीच एक झूठा संघर्ष पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि सेना के प्रति जनता में भय और संदेह का माहौल बनाया जा सके।
**धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग:**
इस विरोध के पीछे का असली कारण ज्ञापन में स्पष्ट रूप से सामने आया है। AIMIM विधायक सरवर आलम द्वारा जारी ज्ञापन में लिखा गया है कि प्रस्तावित भूमि ईदगाह, मस्जिदों, कब्रिस्तान और लोगों के घरों के करीब है। उनके अनुसार, “धार्मिक आस्था के केंद्रों” पर सेना की मौजूदगी से आम लोगों के घरों और धार्मिक स्थलों पर “प्रतिकूल प्रभाव” पड़ेगा। यह बयान साफ करता है कि उनका असली मकसद किसानों की चिंता नहीं, बल्कि धार्मिक स्थलों की निकटता के कारण सेना की तैनाती को रोकना है।
**राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता:**
किशनगंज एक संवेदनशील सीमा क्षेत्र है, और ऐसे में वहां सेना की मौजूदगी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। लेकिन AIMIM और कांग्रेस जैसे दल धार्मिक चिंताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा से ऊपर रख रहे हैं। वे किसानों की चिंताओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं और समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
**निष्कर्ष:**
यह स्थिति यह सवाल उठाती है कि जब देश के अन्य हिस्सों में सेना के कैंप बिना किसी बाधा के स्थापित हो सकते हैं, तो किशनगंज जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर ऐसा क्यों नहीं हो सकता? इन विधायकों का रुख यह बताता है कि वे शायद भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं।
