जब हम भारतीय सेना की सामरिक क्षमता की बात करते हैं, तो सबसे पहले हमारे जाँबाज़ सैनिकों का ख्याल आता है। पर क्या आपको पता है कि सेना के अत्याधुनिक हथियार, जैसे कि टैंक, तोपें, मिसाइलें और ड्रोन, देश के किस हिस्से में तैयार होते हैं? क्या भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता किसी एक राज्य में सिमटी है या यह देश भर में वितरित है? इस जानकारी से भारत के वास्तविक ‘रक्षा केंद्र’ का खुलासा होता है।
भारत का रक्षा उद्योग किसी एक राज्य की सीमा में बंधा हुआ नहीं है। सेना की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, कई राज्यों में सरकारी आयुध कारखाने, सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनियाँ और निजी विनिर्माण इकाइयाँ सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।
यह देशव्यापी फैलाव ही भारतीय रक्षा सामर्थ्य को असाधारण मजबूती प्रदान करता है। उत्तर प्रदेश रक्षा उत्पादन के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है। कानपुर में स्थित फील्ड गन फैक्ट्री कई वर्षों से भारतीय सेना के लिए तोपखाने और आवश्यक गोला-बारूद का निर्माण कर रही है। उत्तर प्रदेश में स्थापित डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, लखनऊ, अलीगढ़, झांसी और चित्रकूट जैसे प्रमुख रक्षा उत्पादन केंद्रों को आपस में जोड़ता है। लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल इंटीग्रेशन सुविधा की स्थापना ने इस राज्य की सामरिक महत्ता को और बढ़ा दिया है।
महाराष्ट्र भी भारत की रक्षा अवसंरचना में एक अहम भूमिका निभाता है। नागपुर के निकट पुल्गांव में एक विशाल आयुध डिपो है जहाँ सेना के हथियारों और गोला-बारूद का बड़ा जखीरा संग्रहित है। राज्य में स्थित कई अन्य आयुध कारखाने और रक्षा उपकरण उत्पादन इकाइयाँ भारतीय सशस्त्र बलों के लिए रसद और आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ बनाती हैं।
दक्षिण भारत में, तमिलनाडु रक्षा गलियारे का एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ बख्तरबंद वाहनों, गोला-बारूद और विभिन्न प्रकार की यांत्रिक प्रणालियों का उत्पादन किया जाता है। चेन्नई और उसके आसपास स्थित कई सरकारी और निजी रक्षा उत्पादन इकाइयाँ सेना के शस्त्रागार में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
तेलंगाना ‘भारत के मिसाइल और एयरोस्पेस विनिर्माण हब’ के तौर पर जाना जाता है। हैदराबाद में, अत्याधुनिक मिसाइल प्रणालियों, रडारों और रक्षा प्रौद्योगिकियों का विकास होता है। यहाँ की स्थानीय कंपनियाँ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय सेना के साथ मिलकर ऐसी प्रणालियाँ विकसित कर रही हैं जो आधुनिक युद्ध की जटिलताओं से निपटने में सक्षम हैं।
अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, कर्नाटक, विशेष रूप से बेंगलुरु, भारत का ‘एयरोस्पेस कैपिटल’ है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), कई DRDO प्रयोगशालाओं और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स फर्मों का घर होने के नाते, यह लड़ाकू विमानों, एवियोनिक्स, ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों के विकास में अग्रणी है।
संक्षेप में, भारतीय सेना के लिए हथियारों का निर्माण किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है। भारत की रक्षा शक्ति उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में वितरित है। जहाँ बेंगलुरु तकनीकी नवाचार का गढ़ है, वहीं उत्तर प्रदेश का पूर्वी क्षेत्र उत्पादन के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। यह विकेन्द्रीकृत उत्पादन भारत की रक्षा को आत्मनिर्भर और अधिक लचीला बनाता है।
