भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और बड़ा कदम बढ़ा रहा है। फ्रांसीसी कंपनी थेल्स (Thales) ने राफेल लड़ाकू विमान के उन्नत AESA रडार सिस्टम के एक महत्वपूर्ण और जटिल पुर्जे के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट भारत की एसएफओ टेक्नोलॉजीज (SFO Technologies) को सौंपा है। यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
यह तकनीकिक रूप से उन्नत वायर्ड स्ट्रक्चर, जो RBE2 AESA रडार का अभिन्न अंग है, अब भारत में ही तैयार किया जाएगा। यह निर्णय भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा और देश को उन्नत सैन्य तकनीक में अधिक आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। थेल्स ने आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि की है कि एसएफओ टेक्नोलॉजीज को यह जिम्मा सौंपा गया है।
कोच्चि स्थित एसएफओ टेक्नोलॉजीज, जिसके भारत के कई शहरों और अमेरिका में भी उत्पादन केंद्र हैं, इस जटिल कंपोनेंट का निर्माण करेगी। थेल्स के अनुसार, “ये कंपोनेंट्स बेहद कठिन परिस्थितियों में भी काम करने में सक्षम हैं और RBE2 AESA रडार के लिए इनका होना अनिवार्य है, जो राफेल विमान के मुख्य मिशन सिस्टम का हिस्सा है।”
यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब भारतीय नौसेना ने हाल ही में 26 राफेल लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया है। थेल्स ने जोर देकर कहा कि “भारतीय नौसेना के हालिया राफेल ऑर्डर के बाद, डसॉल्ट एविएशन के साथ मिलकर, हम भारत में स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर काम करना शामिल है।”
राफेल में प्रयुक्त RBE2 AESA रडार अपनी बेजोड़ गति और सटीकता के लिए जाना जाता है, जो इसे चुनौतीपूर्ण मिशनों के लिए अपरिहार्य बनाता है। इस रडार के लिए आवश्यक जटिल कंपोनेंट्स का उत्पादन एसएफओ टेक्नोलॉजीज द्वारा भारत में किया जाना, देश की रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग है। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि इससे भारत की तकनीकी क्षमताएं तो बढ़ेंगी ही, साथ ही आयात पर निर्भरता भी कम होगी।
