भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने संगठनात्मक ढांचे में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 45 वर्षीय नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब देश की अधिकांश प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की कमान वरिष्ठ नेताओं के हाथों में है। नवीन, जो एक अनुभवी आरएसएस कार्यकर्ता और पूर्व बिहार मंत्री रहे हैं, को इस नई भूमिका में पार्टी के भीतर युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
भाजपा के संसदीय बोर्ड ने काफी मंथन के बाद यह फैसला लिया है, जो पार्टी की नेतृत्व संरचना में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देता है। संभावना है कि जनवरी 2025 में मकर संक्रांति के बाद नितिन नवीन को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है। यह वही रास्ता है जिस पर चलकर जेपी नड्डा भी कार्यकारी अध्यक्ष से राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे।
45 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालना, खासकर भारतीय राजनीति के मौजूदा परिदृश्य में, निश्चित रूप से उल्लेखनीय है। यह भाजपा की उस रणनीति को भी दर्शाता है जहाँ वे अनुभवी नेताओं के साथ-साथ नई पीढ़ी के नेताओं को भी आगे ला रहे हैं।
अन्य प्रमुख दलों के नेताओं की उम्र पर एक नज़र डालें तो नवीन की नियुक्ति की विशिष्टता और स्पष्ट हो जाती है।
कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 83 वर्ष के हैं और उन्होंने 80 साल की उम्र में यह पद संभाला था। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल 57 वर्ष के हैं, जिन्होंने 44 की उम्र में पार्टी की बागडोर संभाली थी। वहीं, तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी 70 साल की हैं और 1998 से, यानी 42 वर्ष की उम्र से ही पार्टी का नेतृत्व कर रही हैं।
राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद यादव 77 साल के हैं और 1997 में 49 साल की उम्र में अध्यक्ष बने थे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के शरद पवार 85 वर्ष के हैं, जिन्होंने 1999 में 58 की उम्र में पार्टी का नेतृत्व संभाला था।
क्षेत्रीय दलों की बात करें तो द्रमुक के एम. के. स्टालिन 72 वर्ष के हैं और 2018 में 65 की उम्र में अध्यक्ष बने। अन्नाद्रमुक के ई. के. पलानीस्वामी 71 साल के हैं और 2023 में 68 की उम्र में महासचिव बने। शिवसेना (शिंदे गुट) के एकनाथ शिंदे 61 साल के हैं और 2022 में लगभग 58 की उम्र में मुख्यमंत्री बने। उद्धव ठाकरे (शिवसेना यूबीटी) 65 साल के हैं और 2013 में 52 की उम्र में पार्टी प्रमुख बने।
समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव 52 साल के हैं और 2017 में 43 की उम्र में अध्यक्ष बने। बसपा की प्रमुख मायावती 69 साल की हैं और 2003 में 47 की उम्र में कमान संभाली। बीजू जनता दल के नवीन पटनायक 79 साल के हैं और 1997 से, यानी 51 साल की उम्र से पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं।
नितिन नवीन की नियुक्ति क्यों है खास?
यह स्पष्ट है कि पूरे भारत में राजनीतिक दलों का नेतृत्व काफी हद तक वृद्ध नेताओं के हाथों में केंद्रित है, जिनमें से कई दशकों से पद पर बने हुए हैं। ऐसे माहौल में, 45 वर्षीय नितिन नवीन की नियुक्ति निश्चित रूप से एक अलग मिसाल पेश करती है।
भाजपा का यह कदम दोहरे संदेश देता है – एक तरफ अनुभवी नेताओं का मार्गदर्शन बना रहेगा, वहीं दूसरी ओर युवा नेतृत्व को राष्ट्रीय मंच पर उभरने का अवसर मिलेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह नियुक्ति एक बड़े पीढ़ीगत बदलाव की शुरुआत है या केवल एक प्रतीकात्मक कदम।
