नई दिल्ली: भारत ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और जोर देकर कहा है कि वह पड़ोसी देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के अपने रुख पर अडिग है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया है कि भारत की जमीन का इस्तेमाल कभी भी बांग्लादेश के हितों के खिलाफ नहीं किया गया है और न ही करने दिया जाएगा।
विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा, “हम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा 14 दिसंबर 2025 को जारी प्रेस नोट में लगाए गए आरोपों का कड़ा खंडन करते हैं।” यह प्रतिक्रिया तब आई जब बांग्लादेश ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कथित “आतंकवादी गतिविधियों के लिए उकसाने” वाले बयानों के संबंध में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया था। बांग्लादेश ने हसीना के प्रत्यर्पण की भी मांग की है।
भारत सरकार ने पहले ही हसीना के प्रत्यर्पण के अनुरोध की प्राप्ति की पुष्टि कर दी है और कहा है कि मामले की न्यायिक और आंतरिक कानूनी प्रक्रियाओं के तहत समीक्षा की जा रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “यह अनुरोध वर्तमान न्यायिक और आंतरिक कानूनी प्रक्रियाओं के तहत जांच के अधीन है। हम बांग्लादेश के लोगों की शांति, लोकतंत्र, समावेश और स्थिरता की आकांक्षाओं का सम्मान करते हैं और सभी संबंधित पक्षों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे।”
यह मामला बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें 17 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। यह सजा जुलाई 2024 में हुए विरोध प्रदर्शनों से संबंधित है। इस मामले में उनके दो प्रमुख सहयोगियों को भी दोषी पाया गया है। पूर्व गृह मंत्री को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि पूर्व पुलिस प्रमुख को पांच साल की जेल की सजा मिली। हसीना ने इस फैसले को ‘पक्षपातपूर्ण’ और ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’ बताते हुए कहा कि यह मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली ‘अवैध’ अंतरिम सरकार द्वारा गठित न्यायाधिकरण का फैसला है।
