पाकिस्तान की दुष्प्रचार मशीनरी एक बार फिर प्रभावी साबित हुई है। जहां अफगानिस्तान और रूस ने पाकिस्तान के झांसे को नहीं माना, वहीं यूएई, सऊदी अरब, कतर, ओमान, कुवैत और बहरीन जैसे छह खाड़ी देशों ने भारतीय फिल्म ‘धुरंधर’ पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध तब लगाया गया जब फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जो इस्लामी मान्यताओं के खिलाफ हो, बल्कि यह फिल्म पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवाद का कड़वा सच दिखाती है।
**’धुरंधर’ पर प्रतिबंध: खाड़ी देशों की दोहरी नीति का खुलासा**
फिल्म ‘धुरंधर’, जिसने भारत में पहले ही 200 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर ली है, पाकिस्तानी आतंकवाद की गुप्त गतिविधियों का पर्दाफाश करती है। इसके बावजूद, खाड़ी के प्रमुख देशों ने फिल्म की टीम द्वारा अनुमोदन प्राप्त करने के अथक प्रयासों के बावजूद इसे रिलीज करने से मना कर दिया है। यह कदम इन देशों की सेंसरशिप नीतियों पर गंभीर सवाल उठाता है।
**सच्चाई की अनदेखी: पाकिस्तान को खुश करने की कवायद?**
यह स्पष्ट है कि इन देशों ने या तो फिल्म में मौजूद आतंकवाद के चित्रण के कारण रोक लगाई है, या फिर पाकिस्तान के साथ अपने राजनीतिक संबंधों को साधने के लिए ऐसा किया है। चूंकि फिल्म में कोई भी ऐसी सामग्री नहीं है जो इस्लाम का अपमान करती हो, केवल एक ही निष्कर्ष निकलता है कि पाकिस्तान ने अपनी कूटनीतिक पकड़ का इस्तेमाल करके इन देशों को प्रभावित किया है।
**पाकिस्तान के खाड़ी देशों में गहरे संबंध**
यह प्रतिबंध पाकिस्तान के खाड़ी क्षेत्र में गहरे और बहुआयामी प्रभाव को रेखांकित करता है:
* सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से घनिष्ठ संबंध हैं।
* UAE पाकिस्तान में एक महत्वपूर्ण विदेशी निवेशक के रूप में स्थापित है।
* पाकिस्तान ने कई खाड़ी देशों की सुरक्षा सेनाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया है, जिसमें सऊदी अरब, UAE, कतर और बहरीन शामिल हैं।
ये संबंध पाकिस्तान को खाड़ी देशों के जनमत और नीतियों को प्रभावित करने की शक्ति प्रदान करते हैं।
**भारत के आर्थिक और सामाजिक निवेश का अनादर**
खाड़ी देशों में भारत का एक बड़ा आर्थिक और सामाजिक निवेश है, फिर भी उन्होंने पाकिस्तान के दबाव के आगे घुटने टेके:
* भारत और खाड़ी देशों के बीच सालाना 200 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का व्यापार होता है।
* भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए खाड़ी देशों पर बहुत अधिक निर्भर है, जो उसके तेल आयात का 30% से अधिक प्रदान करते हैं।
* लगभग 90 लाख भारतीय नागरिक खाड़ी देशों में काम करते हैं, जो उस क्षेत्र की कुल आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
* इन प्रवासियों द्वारा हर साल भारत को भेजी जाने वाली 45-50 अरब अमेरिकी डॉलर की रकम देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
इन महत्वपूर्ण संबंधों के बावजूद, खाड़ी देशों ने आतंकवाद का पर्दाफाश करने वाली फिल्म पर प्रतिबंध लगाकर अपने भारतीय समुदाय की भावनाओं की उपेक्षा की है।
**पाकिस्तान की सेंसरशिप रणनीति**
पाकिस्तान ने पहले भी इसी तरह की रणनीति अपनाई है। ‘उरी’, ‘फाइटर’, ‘द डिप्लोमैट’, ‘आर्टिकल 370’, ‘टाइगर 3’, और ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्मों पर खाड़ी देशों में प्रतिबंध इसी पैटर्न का हिस्सा हैं। पाकिस्तान अपनी आतंकी गतिविधियों को छिपाने के लिए धार्मिक संवेदनशीलता का फायदा उठाता है।
**निष्कर्ष**
खाड़ी देशों ने सत्य को नजरअंदाज कर पाकिस्तान के दुष्प्रचार का साथ दिया। उन्होंने अपने विशाल भारतीय प्रवासी समुदाय और 200 अरब डॉलर से अधिक के व्यापारिक संबंधों पर पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक रिश्ते को प्राथमिकता दी। ‘धुरंधर’ की भारत में सफलता दिखाती है कि सत्य को दबाया नहीं जा सकता। पाकिस्तान भले ही खाड़ी देशों के सेंसरशिप तंत्र को प्रभावित कर ले, लेकिन वह सिनेमा को नहीं रोक सकता जो उसके आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश करता है। यह देखना बाकी है कि खाड़ी देश कब तक पाकिस्तान की चिंताओं को अपने लाखों भारतीय नागरिकों और मजबूत व्यापारिक संबंधों पर तरजीह देते रहेंगे।
