रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई दिल्ली की यात्रा ने वैश्विक भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण संदेश भेजा है। यूक्रेन युद्ध पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच, पुतिन की यह यात्रा भारत के साथ रूस की मजबूत दोस्ती की गवाही देती है। 23वीं भारत-रूस शिखर बैठक के दौरान, दोनों देशों के बीच 21 प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जो 2030 तक द्विपक्षीय सहयोग की एक स्पष्ट रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं। यह दर्शाता है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी और भी प्रगाढ़ होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच गहन बातचीत हुई, जिसमें निजी डिनर से लेकर द्विपक्षीय वार्ता और संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस तक शामिल थी। हालांकि रक्षा क्षेत्र में किसी बड़े नए समझौते की घोषणा नहीं हुई, लेकिन व्यापार, ऊर्जा, कृषि और कनेक्टिविटी जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए विस्तृत योजनाएं बनाई गईं।
इन समझौतों में 2030 तक के लिए आर्थिक सहयोग कार्यक्रम, यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौते को गति देना, कृषि उपज और उर्वरक उत्पादन में संयुक्त प्रयास, और भारत में जहाज निर्माण को बढ़ावा देना शामिल है। इसके अतिरिक्त, रूसी पर्यटकों के लिए ई-वीजा सुविधा को बढ़ाया गया है और समूह वीजा को मुफ्त कर दिया गया है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। नागरिक परमाणु ऊर्जा में सहयोग जारी रहेगा, और महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में नई साझेदारी दुर्लभ पृथ्वी तत्वों की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगी, जो भविष्य की तकनीकों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और रूस को एक-दूसरे का मजबूत साथी बताया, और भारत-रूस के रिश्ते को ‘ध्रुव तारे’ की संज्ञा दी।
राष्ट्रपति पुतिन ने प्रतिबंधों के बावजूद भारत को ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने रूस के सहयोग से भारत में एक विशाल परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की योजना का भी खुलासा किया। पुतिन ने अगले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार को 60 अरब डॉलर से बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक ले जाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा। उन्होंने यह भी बताया कि रूस भारत के लिए एक नया परिवहन मार्ग विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है, जो बेलारूस से हिंद महासागर तक जुड़ेगा।
पुतिन ने सांस्कृतिक जुड़ाव का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने राज कपूर की फिल्मों के सोवियत संघ पर प्रभाव को याद किया, जो दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।
