रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। पुतिन ने हमेशा भारत को एक अहम साझेदार और दोस्त माना है, जिसके चलते भारत उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का एक मुख्य स्तंभ बना हुआ है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली है, जो आज विश्व की सबसे उन्नत और प्रभावी मारक प्रणालियों में से एक है।
हालांकि ब्रह्मोस परियोजना की नींव 1998 में रखी गई थी, लेकिन 2000 में पुतिन के सत्ता में आने के बाद ही इसमें तेज़ी आई। उन्होंने रूसी सरकारी बाधाओं को दूर कर इस महत्वपूर्ण संयुक्त रक्षा पहल को आगे बढ़ाया। ऐसे में, उम्मीद है कि पुतिन अपनी इस यात्रा के दौरान भारत को उन्नत एस-500 मिसाइल रक्षा प्रणाली या पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट एसयू-57 जैसे बड़े रक्षा सौदे की पेशकश कर सकते हैं।
पुतिन की भारत-केंद्रित विदेश नीति की शुरुआत 2000 में “पूर्व की ओर देखो” (Look East) नीति से हुई थी, जिसने भारत को तीन प्रमुख आर्थिक गलियारों का केंद्र बिंदु बनाया। 2024 में एक साक्षात्कार में, उन्होंने भारत को एक ‘सुपरपावर’ बताते हुए उसकी बढ़ती अर्थव्यवस्था, कुशल मानवबल और समृद्ध संस्कृति की सराहना की।
रूस ने हमेशा भारत का साथ दिया है। 2008 के मुंबई हमलों में पाकिस्तान की भूमिका उजागर करने से लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों की परवाह किए बिना एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति तक, रूस का समर्थन स्पष्ट रहा है। वहीं, भारत ने यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस से तेल खरीदना जारी रखा और अमेरिकी एफ-35 जैसे प्रस्तावों को ठुकराकर रूसी रक्षा उद्योग के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता दी।
सात वरिष्ठ रूसी मंत्रियों के साथ पुतिन का यह दौरा दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक संबंधों का प्रतीक है। जैसा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने व्यक्त किया, भारत इस यात्रा का उत्सुकता से इंतजार कर रहा था, और यह भारत-रूस साझेदारी के लिए एक नए युग की शुरुआत कर सकती है।
