भारतीय नौसेना अपनी सामरिक क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने हाल ही में पुष्टि की है कि देश की तीसरी स्वदेशी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, आईएनएस अरिधमन, को जल्द ही नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा। यह घोषणा नौसेना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान की गई।
एडमिरल त्रिपाठी ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय नौसेना अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण समुद्री अभ्यासों का संचालन कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री की ‘सागर’ नीति का हवाला देते हुए बताया कि पिछले साल नौसेना ने 21 द्विपक्षीय और 9 बहुपक्षीय अभ्यासों में हिस्सा लिया। इसके अलावा, 5 कॉर्वेट की तैनाती और 13 संयुक्त ईईजेड (एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन) के क्षेत्रों में भी सक्रियता दिखाई गई है।
नौसेना प्रमुख ने पिछले वर्ष की तीन प्रमुख नई पहलों पर भी प्रकाश डाला। पहली ‘इंडियन ओशन शिप सागर’ थी, जिसमें आईएनएस सुनायना ने भाग लिया। इस अभियान के दौरान, जहाज ने नौ देशों के 44 क्रू सदस्यों के साथ हिंद महासागर के पांच बंदरगाहों का दौरा किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा प्राप्त की।
दूसरी पहल ‘अफ्रीका-इंडिया की मैरीटाइम एंगेजमेंट’ थी, जो अफ्रीकी देशों के साथ समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। तंजानिया के दार एस सलाम में आयोजित इस कार्यक्रम में अफ्रीकी देशों के साथ रक्षा सहयोग और सर्वोत्तम अभ्यासों का आदान-प्रदान किया गया।
आधुनिकीकरण की दिशा में, नौसेना प्रमुख ने बताया कि भारतीय नौसेना को 2029 तक चार राफेल लड़ाकू विमान मिलने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, छह अत्याधुनिक पनडुब्बियों की खरीद से संबंधित ‘प्रोजेक्ट 75 इंडिया’ में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और जल्द ही इसके अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नौसेना की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई ने दुश्मन नौसेना को अपने ही तटों तक सीमित रखने में अहम भूमिका निभाई, जो भारतीय नौसेना की बढ़ी हुई क्षमता का प्रमाण है।
