भारत अपनी नौसैनिक शक्ति को अभूतपूर्व स्तर तक ले जाने की तैयारी में है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी के अनुसार, देश अपनी तीसरी परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN), INS अरिधमन, को नौसेना में शामिल करने के अंतिम चरण में है। यह पनडुब्बी भारत की समुद्री परमाणु निवारण क्षमताओं को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी।
हाल ही में INS अरिघात के कमीशनिंग के साथ, भारत ने अपनी दूसरी SSBN को सफलतापूर्वक तैनात किया था। अब INS अरिधमन के जुड़ने से, भारत पहली बार तीन बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों के साथ एक ‘न्यूक्लियर ट्राइड’ (परमाणु त्रय) का समुद्री घटक पूरी तरह से क्रियाशील कर लेगा। यह देश की सामरिक क्षमता को अभूतपूर्व मजबूती प्रदान करेगा।
**INS अरिधमन: आकार और क्षमता में बेजोड़**
INS अरिधमन, गुप्त एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल (ATV) परियोजना के तहत विकसित की गई है, जिसका लक्ष्य भारत को परमाणु पनडुब्बी प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाना है। इस परियोजना पर 1990 के दशक से काम चल रहा है और इसमें भारी निवेश किया गया है। नई पनडुब्बी, INS अरिधमन, अपने पूर्ववर्ती जहाजों की तुलना में काफी बड़ी है, जिसका अनुमानित वजन 7,000 टन है। इसके अलावा, यह अधिक उन्नत तकनीक से लैस है और फिलहाल अंतिम समुद्री परीक्षणों से गुजर रही है।
**अधिक मारक क्षमता, बेहतर सुरक्षा**
INS अरिधमन की सबसे बड़ी खासियत इसकी बढ़ी हुई मिसाइल ले जाने की क्षमता है। यह लंबी दूरी की K-4 परमाणु मिसाइलों को अधिक संख्या में ले जा सकेगी, जिससे भारत की हमला करने की क्षमता और विस्तारित हो जाएगी। यह बढ़ी हुई मारक क्षमता देश की ‘नो फर्स्ट यूज’ (पहले प्रयोग न करने) की परमाणु नीति के तहत सामरिक निवारण (strategic deterrence) को और अधिक प्रभावी और विश्वसनीय बनाती है। यह दुश्मन के हमलों से बचने की पनडुब्बी की क्षमता को भी बढ़ाती है।
**भविष्य की योजनाएं**
भारत की योजना एक चौथी SSBN के निर्माण की भी है, जो आने वाले वर्षों में देश की परमाणु निवारक क्षमता को और मजबूत करेगी।
**अंतर्राष्ट्रीय तुलना**
INS अरिधमन का शामिल होना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर देखें तो, अमेरिका और चीन जैसे देशों के पास भारत से कहीं अधिक बड़ी और सक्षम परमाणु पनडुब्बी बेड़े हैं। चीन के पास छह बड़ी जिन-श्रेणी की SSBN और छह परमाणु हमलावर पनडुब्बियां हैं, जबकि अमेरिका 14 ओहियो-श्रेणी की SSBN और 53 परमाणु हमलावर पनडुब्बियों का संचालन करता है। INS अरिधमन जैसी स्वदेशी और उन्नत पनडुब्बियों का विकास, भारत की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत और विश्वसनीय परमाणु निवारण बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
