मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार 3 दिसंबर, 2025 को स्वीडन के स्टॉकहोम में अंतर्राष्ट्रीय लोकतन्त्र और चुनावी सहायता संस्थान (International IDEA) के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं शुरू करेंगे। यह महत्वपूर्ण नियुक्ति भारत की चुनावी प्रणालियों की वैश्विक स्वीकार्यता और चुनाव आयोग के अथक प्रयासों का प्रमाण है, जो देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की गारंटी देते हैं।
इस ऐतिहासिक अवसर पर, सी.ई.सी. ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत में हुए स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों के सफल आयोजन को मान्यता देता है। 30 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार है जब दुनिया के 37 लोकतांत्रिक देशों ने मिलकर भारत को International IDEA के अध्यक्ष पद के लिए चुना है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह भारतीय नागरिकों और चुनाव आयोग के सभी अधिकारियों के लिए गर्व का क्षण है।
International IDEA: लोकतंत्रों के लिए वैश्विक मंच
वर्ष 1995 में स्थापित, International IDEA एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सशक्त बनाना है। इसके सदस्य देशों की संख्या 35 है, और अमेरिका तथा जापान जैसे देश पर्यवेक्षक के तौर पर जुड़े हुए हैं। 2003 से, इस संगठन को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है, जिससे यह वैश्विक लोकतांत्रिक सुधारों और चर्चाओं में सक्रिय भूमिका निभाता है।
भारत, International IDEA के संस्थापक सदस्यों में से एक रहा है। देश ने संगठन के प्रबंधन, अनुसंधान, क्षमता विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में लगातार योगदान दिया है।
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते, जहां 900 मिलियन से अधिक मतदाता हैं, भारत वैश्विक स्तर पर अपने विशाल चुनावी अनुभव को साझा करेगा। 2026 के लिए अध्यक्षता संभालने के बाद, भारत विश्व के अन्य देशों की चुनाव प्रबंधन निकायों (EMBs) को चुनावी प्रशासन में सर्वोत्तम प्रथाओं और नई तकनीकों के माध्यम से सहायता प्रदान करेगा।
International IDEA के सदस्य और पर्यवेक्षक देशों को मिलाकर देखें तो भारत में सबसे बड़ा मतदाता आधार है, जिसमें 991 मिलियन नागरिक शामिल हैं। यह कुल मिलाकर 2,225,549,481 मतदाताओं का 44.5% है। संयुक्त राज्य अमेरिका 234,504,358 मतदाताओं के साथ दूसरे और इंडोनेशिया 204,421,612 मतदाताओं के साथ तीसरे स्थान पर है। ब्राजील, जापान, मैक्सिको और फिलीपींस जैसे अन्य प्रमुख लोकतंत्रों का भी महत्वपूर्ण योगदान है, जबकि लक्ज़मबर्ग, काबो वर्डे और बारबाडोस जैसे देशों में मतदाताओं की संख्या काफी कम है।
