कर्नाटक की राजनीति में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाने के उद्देश्य से, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार मंगलवार को एक बार फिर साथ आए। इस बार, दोनों नेताओं ने उपमुख्यमंत्री शिवकुमार के आवास पर नाश्ते पर मुलाकात की। यह बैठक राजनीतिक गलियारों में सीएम पद को लेकर दोनों नेताओं के बीच कथित मनमुटाव की खबरों के बीच हुई है।
सिद्धारमैया का शिवकुमार के घर पर स्वागत उनके भाई डी. के. सुरेश ने किया। बैठक के बाद, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मीडिया को स्पष्ट किया कि नेतृत्व के बीच कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा, “हम पूरी तरह से एकजुट हैं और मिलकर सरकार चला रहे हैं, और भविष्य में भी यही जारी रहेगा।” यह बयान कांग्रेस आलाकमान के निर्देशों का पालन करने के उनके पहले के वादे की पुष्टि करता है।
राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने भी इस मुलाकात को सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि नेताओं का ऐसे मिलना स्वाभाविक है और यह दिखाता है कि पार्टी एकजुट है। परमेश्वर, जो स्वयं मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक रहे हैं, ने कहा कि वे किसी भी अनसुलझे मुद्दे के “शांतिपूर्ण समाधान” की उम्मीद करते हैं। उन्होंने इस बैठक को आलाकमान के सुझावों के अनुसार एक “आपसी मेलजोल” बताया।
यह दूसरी बार था जब दोनों शीर्ष नेता इस तरह मिले। इससे पहले, 29 नवंबर को भी दोनों के बीच सिद्धारमैया के आवास पर नाश्ते पर चर्चा हुई थी। उस बैठक को शिवकुमार ने “कर्नाटक की प्राथमिकताओं और भविष्य की योजनाओं पर एक महत्वपूर्ण चर्चा” बताया था, लेकिन इसे पार्टी के भीतर सीएम पद को लेकर चल रही खींचतान को कम करने के प्रयास के तौर पर भी देखा गया था।
सीएम पद को लेकर यह रार 2023 के कथित “सत्ता-साझाकरण” समझौते से उपजी है। इस आंतरिक मतभेद को दूर करने के लिए ही दोनों नेताओं को बार-बार मिलना पड़ रहा है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिवकुमार के समर्थकों की मांग है कि उन्हें शेष ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया जाए, जिससे पार्टी में विभाजन की स्थिति बनी हुई है।
शनिवार की बैठक के बाद, शिवकुमार ने एक्स पर लिखा था, “आज सुबह कावेरी निवास पर माननीय मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से नाश्ते की बैठक के लिए मुलाकात की। कर्नाटक की प्राथमिकताओं और आगे की राह पर एक उत्पादक चर्चा हुई।” वहीं, सिद्धारमैया ने तब भी स्पष्ट किया था कि उनके रुख में कोई बदलाव नहीं है।
लगभग एक घंटे तक चले नाश्ते (जिसमें इडली-सांभर और उपमा शामिल था) के बाद, दोनों नेताओं ने पार्टी के भीतर एकजुटता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वे कांग्रेस आलाकमान के किसी भी फैसले का पालन करेंगे और किसी भी प्रकार के “भ्रम” को दूर करेंगे।
